सुकरात को आध्यात्मिक निर्देशक के रूप में अपना कार्य-क्षेत्र मालूम था. उसके ये शब्द इस बात के साक्षी हैं- ‘मेरी माता एक दाई थी. मैं उसी के चरण-चिह्नों पर चल रहा हूं. मैं मानसिक दाई हूं जो लोगों को अपने विचारों को जन्म देने में सहायता करती है. ‘ उसके प्रवचनों में यत्र-तत्र ज्ञानयोग का अन्वेषण प्रतिबिंबित है. वह अक्सर प्रश्न किया करता था कि ‘इसका अर्थ क्या है? पवित्रता क्या है? सद्गुण क्या है? साहस, ईमानदारी, न्याय, सत्य आदि क्या हैं? ‘ एक अन्य व्याख्यान में वह कहता है- ‘जिस तरह शिकारी कुत्ता रक्त-चिह्नों का पीछा करता है, उसी तरह मैं भी सत्य के रास्ते की खोज करता हूं. ‘ ‘दर्शन’ शब्द ज्ञान प्राप्ति के बाद तार्किक अन्वेषण के इसी मार्ग व प्रणाली को अभिव्यक्त करने के लिए बनाया गया, जिसका सुकरात व प्लेटो ने अनुसरण किया था.
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प्रवचन::::: सुकरात के आध्यात्मिक निर्देश
सुकरात को आध्यात्मिक निर्देशक के रूप में अपना कार्य-क्षेत्र मालूम था. उसके ये शब्द इस बात के साक्षी हैं- ‘मेरी माता एक दाई थी. मैं उसी के चरण-चिह्नों पर चल रहा हूं. मैं मानसिक दाई हूं जो लोगों को अपने विचारों को जन्म देने में सहायता करती है. ‘ उसके प्रवचनों में यत्र-तत्र ज्ञानयोग का […]
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