पूर्वी यूरोप में वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा यह निष्कर्ष निकला कि निश्चित सामग्री तथा आकार-प्रकार की इमारतों में सूक्ष्म प्राण ऊर्जाओं को निर्मित तथा कार्यान्वित करने की अपूर्व क्षमता होती है. पिरामिडों के आधार पर वर्गाकार क्षेत्र में ठीक उन्हीं के अनुपात तथा झुकाव में निर्मित अन्य पिरामिडों का बहुत सक्षम साइकोट्रॉनिक आकार है. इन पिरामिडों में रखी जाने वाली खाने-पीने की वस्तुएं सामान्य खुले वातावरण की अपेक्षा बहुत अधिक काल तक सुरक्षित रह सकती हैं. इन पिरामिडों द्वारा यह सिद्ध होता है कि विशाल पिरामिडों का निर्माण प्राण-ऊर्जा को संचित करने के सिद्धांत पर आधारित था तथा इस ऊर्जा को बड़ी मात्रा में तकनीकी एवं आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त किया गया था. यह कितने आश्चर्य की बात है कि आज से दस हजार वर्ष पूर्व मिस्त्र के लोग इस प्राण-ऊर्जा के प्रयोग में कितने निपुण थे, जबकि आधुनिक युग में वैज्ञानिक ने दस हजार वर्षों के बाद अभी-अभी किर्लियन फोटोग्राफी के आश्चर्यजनक निष्कर्षों को देखकर इस प्राण-ऊर्जा को जाना तथा अंकन किया. उनकी तुलना में हम प्राण-ऊर्जा के कुशल प्रयोग के क्षेत्र में एकदम नौसिखिये नहीं हो क्या हैं?
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प्रवचन::: पिरामिड का निर्माण प्राण ऊर्जा को संचित करता है
पूर्वी यूरोप में वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा यह निष्कर्ष निकला कि निश्चित सामग्री तथा आकार-प्रकार की इमारतों में सूक्ष्म प्राण ऊर्जाओं को निर्मित तथा कार्यान्वित करने की अपूर्व क्षमता होती है. पिरामिडों के आधार पर वर्गाकार क्षेत्र में ठीक उन्हीं के अनुपात तथा झुकाव में निर्मित अन्य पिरामिडों का बहुत सक्षम साइकोट्रॉनिक आकार है. इन पिरामिडों […]
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