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प्रवचन::: आध्यात्मिक चेतना का विकास

जिसमें कामोपभोग भी एक साधन के रूप में सम्मिलित है. आध्यात्मिक चेतना के विकास तथा चक्रों के जागरण के लिए एक उपाय के रूप में कामोपभोग को भी सम्मिलित किया जाता है. ऐसे अनेक लोग जो किसी मजबूरीवश आध्यात्मिक जीवन में आते हैं, शारीरिक संपर्क से बचते हैं तथा दूसरों को या आध्यात्मिक जीवन में […]

जिसमें कामोपभोग भी एक साधन के रूप में सम्मिलित है. आध्यात्मिक चेतना के विकास तथा चक्रों के जागरण के लिए एक उपाय के रूप में कामोपभोग को भी सम्मिलित किया जाता है. ऐसे अनेक लोग जो किसी मजबूरीवश आध्यात्मिक जीवन में आते हैं, शारीरिक संपर्क से बचते हैं तथा दूसरों को या आध्यात्मिक जीवन में स्वयं को त्रुटियों तथा अपूर्णताओं से बचाने के उपाय बताते हैं, उनके लिए कामोपभोग उच्च चेतना की कुंजी के रूप में प्रयुक्त हो सकता है. तंत्र यौन प्रवृत्तिरूपी सशक्त देन को हीनदृष्टि से नहीं देखता, अपितु उसका उपयुक्त आदर करता है तथा उसके महत्व को समझता है. तंत्र यौनाचार के पाशविक रूप से कामांधता अथवा बेहोशी की प्रवृत्ति एवं उपभोग के विरुद्ध है, बल्कि वह उसे उदासीन करता है. जब दो व्यक्ति अपनी सीमित सत्ता को मिलाकर एक देते हैं, विश्व चेतना के साथ तदाकार हो जाते हैं तो वही वास्तविक ध्यान का प्रमुख लक्ष्य होता है.

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