सदर अस्पताल के ऑन डय़ूटी सजर्न डॉक्टर के अनुसार बहादुर के गले में तीन स्टीच दिया गया. फिलहाल उसकी हालत खतरे से बाहर लग रहा है. घायल बंदी के अनुसार एक महिला से उसे करीब पांच वर्षो से प्रेम का चक्कर है. उसके द्वारा दर्ज कराये मामले में तीन दिसंबर से काराधीन है.
उक्त महिला से कारा के अंदर के खुशीलाल नाम के सिपाही ने मोबाइल से बात करायी थी. उसने बताया था कि उसे छोड़ कर वह दूर चली जायेगी. सुबह में बात करने पर उक्त महिला ने कॉल रिसीव नहीं किया, दूसरे व्यक्ति ने कॉल रिसीव कर बताया कि वह दुर्गापुर जा रही है. इसी गुस्से में जान त्यागने की सोची और सेविंग करने के लिये रखे ब्लेड से बाथरुम में जाकर गला काटने के बाद कलाई में ब्लेड से उसका नाम लिख लिया. इसकी जानकारी होते ही उसे कारा के अस्पताल में प्राथमिक उपचार करने के बाद सदर अस्पताल भेज दिया गया.
अब सबसे बड़ा सवाल है कि ब्लेड बंदी के पास कैसे पहुंचा और किस परिस्थिति में उसे सुरक्षाकर्मी ने अपनी मोबाइल से बात कराया. अगर कोई बड़ी घटना होती तो आखिर जिम्मेवार कौन होता? इस संबंध में प्रभारी काराधीक्षक से संपर्क करने का प्रयास किया गया किंतु उनसे बात नहीं हो सकी. जेलर अश्विनी तिवारी ने पूछने पर बताया कि जेल के अंदर बूथ है, ऐसे में मोबाइल जाने का सवाल नहीं होता. अगर सुरक्षाकर्मी ने बात कराया होगा तो पता करेंगे, जहां तक ब्लेड का सवाल है सेविंग में उपयोग होता है. सेविंग कर किसी ने फेंका होगा तो उसे उठा लिया होगा.