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प्रवचन:::: बिंदु विसर्ग अमृत समान है

बिंदु का अर्थ ‘बूंद’ होता है, परंतु इस चक्र को ‘बिंदु विसर्ग’ कहा जाता है जिसका अर्थ ‘बूंद का गिरना’ होता है. यहां बूंद का तात्पर्य अमृत से है. यह स्त्राव योगियों के लिए उस समय पोषक तथा जीवन रक्षक होता है जिस समय वे भोजन, जल तथा प्राण वायु के बिना भूमि के नीचे […]

बिंदु का अर्थ ‘बूंद’ होता है, परंतु इस चक्र को ‘बिंदु विसर्ग’ कहा जाता है जिसका अर्थ ‘बूंद का गिरना’ होता है. यहां बूंद का तात्पर्य अमृत से है. यह स्त्राव योगियों के लिए उस समय पोषक तथा जीवन रक्षक होता है जिस समय वे भोजन, जल तथा प्राण वायु के बिना भूमि के नीचे लंबी समाधि लगाते हैं. यह स्त्राव चयापचय की क्रिया को नियंत्रित करता है तथा पोषक तत्वों और प्राण-वायु का निर्माण करता है. अतएव बिंदु अमृत का अधिष्ठान है. सिर के ऊपरी हिस्से में जहां ब्राह्मण शिखा रखते हैं वहीं बिंदु चक्र की स्थिति है. आजकल के ब्राह्मण शिखा केवल इसलिए धारण करते हैं कि वे ब्राह्मण हैं, परंतु प्राचीन काल में लोग शिखा के कसकर बांधते तथा उसमें गांठ लगाते थे जिससे सिर के उस स्थल पर तनाव और खिंचाव उत्पन्न होता था. यही चेतना को बनाये रखने का साधन था क्योंकि बिंदु चक्र का अपना कोई खास क्षेत्र नहीं होता है.

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