लेकिन, उनके पुत्र, संबंधी आदि बैठक में उपस्थित नजर आये. पार्षदों के पुत्र, संबंधी के बैठक में उपस्थित होने से यह तो साफ हो रहा है कि चुनाव की रणनीतियों को समझने के पहले उन्हें नगर निगम होने वाले कार्य संस्कृति से अवगत होने का मौका दिया जा रहा है. इसके अलावा पार्षदों की अयोग्यता का कई अधिनियम में वर्णित है.
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झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 लागू, अब दो से अधिक संतान वाले नहीं लड़ सकेंगे चुनाव
देवघर: सूबे में झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 लागू है. आगामी देवघर नगर निगम चुनाव में वैसे लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो जायेंगे, जिन्हें दो से अधिक संतान हैं. पार्षदों की अयोग्यता के तय मापदंडों में कोई भी व्यक्ति निर्वाचन अथवा निर्वाचन के बाद पार्षद के रूप में पद ग्रहण करने के लिए भी अयोग्य […]
देवघर: सूबे में झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 लागू है. आगामी देवघर नगर निगम चुनाव में वैसे लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो जायेंगे, जिन्हें दो से अधिक संतान हैं. पार्षदों की अयोग्यता के तय मापदंडों में कोई भी व्यक्ति निर्वाचन अथवा निर्वाचन के बाद पार्षद के रूप में पद ग्रहण करने के लिए भी अयोग्य होगा. अधिनियम का सख्ती से लागू किये जाने के बाद कई वर्तमान पार्षदों की बेचैनी बढ़ गयी है.
जानकारी के अनुसार देवघर नगर निगम के 35 पार्षदों में एक तिहाई पार्षद ऐसे हैं जिन्हें दो से अधिक संतान है. अधिनियम की जानकारी मिलने के बाद वर्तमान में कई पार्षद अपनी जमीन को बचाये रखने के लिए पुत्र-पुत्री को भी चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति में जुटे हैं. देवघर नगर निगम में हाल के दिनों में हुए बैठक में कई पार्षद नदारद थे.
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