आज डाक्टर जो पर्चा (प्रिस्कैप्शन) लिखते हैं, उसी अनुसार व्यवसायी दवा बेचते हैं. केंद्रीय कानून टेक्नीकल क्वालिफिकेशन (फार्मासिस्ट) समाप्त की जानी चाहिये. ये बातें ऑल इंडिया आर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट, मुंबई के महासचिव सुरेश गुप्ता ने कही. वे झारखंड केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (जेसीडीए) की चतुर्थ कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने आये थे. बैठक के दूसरे दिन तीन विंदुओं पर फैसले लिये गये.
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दवा व्यवसायी मार्च में करेंगे तीन दिन की हड़ताल
देवघर: झारखंड ही नहीं पूरे देश में रिटेल या खुदरा व्यवसायियों से फार्मासिस्ट की अनिवार्यता नहीं है. वर्षो पुराने दवा कानून में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता निहित थी जो उस दौर में क्रय-विक्रय के लिए जरूरी था. मगर पिछले 25-30 वर्षो से दवा व्यवसाय के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है. आज डाक्टर जो पर्चा (प्रिस्कैप्शन) […]
देवघर: झारखंड ही नहीं पूरे देश में रिटेल या खुदरा व्यवसायियों से फार्मासिस्ट की अनिवार्यता नहीं है. वर्षो पुराने दवा कानून में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता निहित थी जो उस दौर में क्रय-विक्रय के लिए जरूरी था. मगर पिछले 25-30 वर्षो से दवा व्यवसाय के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है.
उन्होंने कहा कि दो से पांच साल तक दवा व्यापार करने वाले व्यवसायियों को योग्यता प्रमाण पत्र दिया जाय. दूसरा फैसला, नियमानुसार साइंस ग्रेजुएट दवा बना तो सकता है. मगर दवा बेच नहीं सकता. यह बिल्कुल हास्यास्पद है. झारखंड में ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन अपनी प्रवृत्ति नहीं बदलते हैं तो पूरे देश में दवा व्यापारियों की हड़ताल होगी, जिसके लिए सरकार जिम्मेवार होगी. इस क्रम में व्यवसायी मार्च के अंतिम सप्ताह में तीन दिवसीय हड़ताल करेंगे. इसमें झारखंड के अलावा यूपी, नार्थ इस्ट, ओड़िशा, नार्थ इंडिया बंद होगा.
ग्रीन कार्ड के नाम पर हो रहा है उत्पीड़न : ड्रग ऑथोरिटी ने नये नियम का हवाला देते हुए ग्रीन कार्ड के नाम पर उत्पीड़न कर रहे हैं. हाल के दिनों में कई दुकानों के लाइसेंस निरस्त किये गये हैं. एसोसिएशन ने उसकी निंदा करते हुए निर्णय लिया है कि दवा व्यवसायी सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे. यूपीए सरकार ने 15 मई 2013 को दवा बिक्री माजिर्न संबंधी मामले में नया अधिनियम लागू कर दवा निर्माता कंपनियों को 100 फीसदी की जगह 130-450 फीसदी तक माजिर्न देने का काम किया है. जबकि 19 वर्षो में पहली बार रिटलेर दवा व्यवसायियों की माजिर्न मात्र 13 फीसदी कर दिया. यह न्यायोचित नहीं है. इस मामले में दवा व्यवसायी संघ भारत सरकार व दवा निर्माता कंपनियों के संघ से लड़ाई लड़ रही है. भारत सरकार से हमारी मांग है कि रिटेल व्यवसायियों के लिए बिक्री पर 20 फीसदी व होल सेल बिक्रेताओं के लिए 10 फीसदी माजिर्न तय करे. साथ ही नई दवा नीति पर पुनर्विचार कर संशोधन करे.
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