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शहर में कहीं नहीं है सार्वजनिक टॉयलेट
आशीष कुंदन देवघर : सांस्कृतिक राजधानी देवघर को साफ व स्वच्छ रखने के लिए करोड़ों खर्च किये जाते हैं, जनप्रतिनिधियों द्वारा तमाम वादे किये जाते हैं, लेकिन यह विडंबना ही है कि इस शहर में लघुशंका के लिए उचित व्यवस्था नहीं है. खासकर शहर के बाजार व भीड़-भाड़ वाले इलाके में लोगों को दिक्कतें होती […]
आशीष कुंदन
देवघर : सांस्कृतिक राजधानी देवघर को साफ व स्वच्छ रखने के लिए करोड़ों खर्च किये जाते हैं, जनप्रतिनिधियों द्वारा तमाम वादे किये जाते हैं, लेकिन यह विडंबना ही है कि इस शहर में लघुशंका के लिए उचित व्यवस्था नहीं है. खासकर शहर के बाजार व भीड़-भाड़ वाले इलाके में लोगों को दिक्कतें होती है. यहां तक कि समाहरणालय, कोर्ट परिसर व प्राइवेट बस स्टैंड में भी शौच व लघु शंका लगने पर उन्हें शहरी इलाके से बाहर जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है.
या नहीं तो निर्धारित राशि चुका कर लोगों को सुलभ शौचालय जाने के अलावा कोई उपाय नहीं बचता. पुरुष तो किसी तरह गली ढूंढ कर अपना काम चला ले रहे हैं, पर सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को होती है. इस समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने आज तक कोई पहल नहीं की. यही वजह है कि वर्तमान में शहर में एक भी यूरिनल नजर नहीं आता. जानकारी के मुताबिक, एक समय शहर के सदर अस्पताल के बाहर मुख्य सड़क किनारे व प्राइवेट बस स्टैंड परिसर में यूरिनल बना था. जबकि वर्तमान में अस्पताल के बाहर सड़क किनारे एक टूटा यूरिनल नजर आता है. वहीं मेंटेनेंस के अभाव में प्राइवेट बस स्टैंड का यूरिनल जर्जर पड़ा है. दोनों यूरिनल का इस्तेमाल नहीं होता.
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