देवघर: अप्रैल 25 को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जायेगा. वैश्विक अभियान वर्ष 2013 का विषय ‘भविष्य में निवेश करते हैं, मलेरिया हार’ है. मलेरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिए निरंतर राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए आवश्यकताओं को रेखांकित करने का अवसर है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों पर गौर करें तो दुनिया में प्रतिवर्ष 219 मिलियन लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं. भयावह आंकड़ों की सच्चई भी संताल परगना में देखने को मिलती है. संताल परगना के विभिन्न जिलों में मलेरिया पीड़ितों की संख्या प्रतिवर्ष हजारों में होती है.
सैकड़ों लोग मारे जाते हैं. मलेरिया की रोकथाम व पीड़ितों के बचाव के लिए सरकार एवं विभागीय स्तर पर लगातार दावे किये जाते हैं. लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मलेरिया पीड़ित इलाज के लिए झोला छाप डॉक्टरों पर आश्रित रहते हैं. ऐसे में सही समय पर समुचित इलाज नहीं होने की वजह से कई पीड़ितों की मौतें भी हो जाती है. इसलिए मलेरिया से बचाव के लिए जागरूकता व सावधानी काफी महत्वपूर्ण है.
क्या है मलेरिया
मलेरिया एनॉफिलीज मादा मच्छर के काटने से होता है. मलेरिया वाहक जनित संक्रामक रोग प्रोटोजोआ (प्लासमोडियम) परजीवी द्वारा फैलता है. एनॉफिलीज मादा मच्छर मुख्य रूप से अमेरिका, एशिया व अफ्रीका महाद्वीप के उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में फैला हुआ है.