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प्रवचन:::: ध्यान के दौरान श्वास का ख्याल रखे

श्वास-प्रश्वास का ख्याल कीजिये. चेतना को मूलाधार मंे लाइये तथा साथ ही श्वास का भी ख्याल बनाए रखिये. ख्याल कीजिये कि जब आप श्वास लेते हैं तो वह मूलाधार से आज्ञा तक प्रवाहित होती है और जब प्रश्वास छोड़ते हैं तो वह आज्ञा से मूलाधार तक लौटती है. श्वास के इस आरोहण-अवरोहण को चाहें तो […]

श्वास-प्रश्वास का ख्याल कीजिये. चेतना को मूलाधार मंे लाइये तथा साथ ही श्वास का भी ख्याल बनाए रखिये. ख्याल कीजिये कि जब आप श्वास लेते हैं तो वह मूलाधार से आज्ञा तक प्रवाहित होती है और जब प्रश्वास छोड़ते हैं तो वह आज्ञा से मूलाधार तक लौटती है. श्वास के इस आरोहण-अवरोहण को चाहें तो मेरुदंड में अथवा सामने के मनोपथ, कंठ और नाभि के मध्य में अनुभव कर सकते हैं. यह तभी संभव है जबकि आप श्वास को शरीर में सामने की ओर मूलाधार से आज्ञा तक तथा प्रश्वास को मेरुदंड में आज्ञा से मूलाधार तक अनुभव करें. यह आपकी सुविधा तथा संवेदना पर निर्भर है. मूलाधार से आज्ञा तक श्वास लीजिये तथा आज्ञा से मूलाधार तक श्वास छोडि़ये. जब श्वास समाप्त होती है, तब आपकी चेतना आज्ञा में पहुंचती है. इसी प्रकार जब प्रश्वास समाप्त होती है तब चेतना मूलाधार में पहुंचती है.

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