यहूदी ईसाई, इस्लाम, मिस्त्री, कब्बालात तथा रोसिक्रूसियंस धर्मों में भी चक्रों का उल्लेख पाया जाता है. जापानी जूडो की एक गुह्य शाखा में भी ‘क्योशो’ अथवा शरीर के आंतरिक भागों में सूक्ष्म दाब बिंदुओं का उल्लेख है. यह हमारी चक्रों की धारणा से मिलता-जुलता है. ये चीनी एक्यूपंचर के बिंदुओं तथा जापानी चिकित्सा पद्धति ‘श्यिात्सु’ के एक्यूपंचर बिंदुओं से भी मिलते-जुलते हैं. चक्रों के प्रतीक:समूचे विश्व तथा इतिहास के प्रत्येक युग में सिद्धों, संतों तथा योगियों को चक्रों का अपने-अपने अनुभवों से ज्ञान रहा है. चक्रों या आध्यात्मिक अनुभव केंद्रों को जागृत करने के लिये कोई एक पद्धति नहीं होती, क्योंकि साधक के व्यक्तित्व की संरचना के अनुसार ही पद्धति का निर्धारण होता है. तथाकथित आदिम समाज के लोगों को भी अपने अनुभवों से चक्रों की जानकारी थी.
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प्रवचन:::: अनुभव से चक्र का ज्ञान होता है
यहूदी ईसाई, इस्लाम, मिस्त्री, कब्बालात तथा रोसिक्रूसियंस धर्मों में भी चक्रों का उल्लेख पाया जाता है. जापानी जूडो की एक गुह्य शाखा में भी ‘क्योशो’ अथवा शरीर के आंतरिक भागों में सूक्ष्म दाब बिंदुओं का उल्लेख है. यह हमारी चक्रों की धारणा से मिलता-जुलता है. ये चीनी एक्यूपंचर के बिंदुओं तथा जापानी चिकित्सा पद्धति ‘श्यिात्सु’ […]
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