रिखियापीठ: परमहंस स्वामी सत्यानंदजी की तपोस्थली रिखियापीठ में शतचंडी महायज्ञ सह सीता कल्याणम् में संस्कृत के मंत्रोच्चरण से देवी दुर्गा की आराधना के साथ भक्ति व दान का संदेश विश्व को दिया जा रहा है. गरीबों के बीच वितरित किये जाने वाली आवश्यक वस्तुएं के दान के साक्षी सात समंदर पार से आये भक्त भी बन रहे हैं.
भक्तों के बीच प्रवचन में स्वामी निरंजनानंद जी ने कहा कि जीवन में सुख व आनंद तभी है, जब आनंद के क्षणों में शरीर, स्थान, वासना व समय भूला जाये. यही आनंद प्राप्त करने वाला सच्चा भक्त कहलाता है. यज्ञ की विधि में ‘दान’ एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह वैसा दान है जो बेरोजगारों को रोजगार देकर दो वक्त की रोटी की व्यवस्था कर सके. भक्ति में दान का महत्वपूर्ण स्थान है और दान से ही जीवन में आनंद है. सामथ्र्यवान व्यक्ति को नि:स्वार्थ भाव से गरीबों की मदद करनी चाहिए.
यह संदेश स्वामी सत्यानंदजी का है. यज्ञ में गरीबों के बीच वितरण होने वाली सामग्री देवी मां का अनुग्रह है जो जीवन में सुख व शांति लाती है. रिखियापीठ में दान के रूप में बेरोजगारों को गाय, रिक्शा, ठेला, घरेलू सामग्री का वितरण किया गया. कन्या-बटुकों के बीच सुंदर पोशाक बांटा गया. 27 नवंबर को सीता कल्याणम् में राम-सीता का विवाह होगा. इसमें सीता के रूप में ओड़िसा के सबलपुर की स्मीग्धा पारिजात की शादी व यूनाइटेड किंगडम (यूके) का लड़का लीवैनी बीरचर से होगी.