देवघर : देवघर भूमि घोटाला में भू-माफिया व अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर सरकारी तालाब व गोचर जमीन को फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेच दिया गया. इसकी परत दर परत सच्चाई सामने आने के बाद देवघर भूमि घोटाला उजागर हुआ.
अब भी कई सरकारी तालाब सरकार के खतियान में तो दर्ज है, लेकिन स्थल पर सरकारी तालाब कहीं नहीं दिख रहा है. मोहनपुर अंचल क्षेत्र के चकश्री मिश्रबांध मौजा के खतियान में दर्ज दाग नंबर 66 का सरकारी तालाब केवल कागज पर ही दिख रहा है. स्थल पर यहां कोई सरकारी तालाब नहीं मिल रहा है. खतियान के अनुसार चकश्री मिश्र बांध में दाग नंबर 66 में 2.87 एकड़ जमीन पर सरकारी तालाब निर्मित था. लेकिन भू-माफियों व अधिकारियों की साठ-गांठ से तालाब भरकर जमीन बेच दी गयी है.
देवघर भूमि घोटाला उजागर होने के बाद शुरुआत में निगरानी के समक्ष यह मामला सामने आने के बाद निगरानी की टीम भी उक्त स्थल पर गयी थी, लेकिन यहां कोई सरकारी तालाब नहीं मिला था. सूत्रों के अनुसार सीबीआइ ने भी चकश्री मिश्र बांध मौजा के दाग नंबर 66 के सरकारी तालाब संबंधित दस्तावेज मोहनपुर अंचल से मांगा है. सीबीआइ भी यह जानना चाहती है कि बंधा, बैजनाथपुर व रामपुर के तर्ज पर चकश्री मिश्रा बांध मौजा का सरकारी तालाब कहां गुम हो गया.
बताया जाता है कि इस मामले में सीबीआइ ने बिलासी के एक चर्चित भू-माफिया से भी कुछ माह पूर्व पूछताछ की थी. सीबीआइ को उक्त भू-माफिया को बुलाने के लिए सात बार नोटिस भेजनी पड़ी थी. चूंकि सीबीआइ की जानकारी में सरकारी बांध की जांच का मामला पहले से था. बताया जाता है कि उक्त भू-माफियों ने वर्षों पहले चकश्री मिश्र बांध मौजा में जमीन का कारोबार भी बड़े पैमाने पर किया था.