देवघर: विषम परिस्थिति में भी अपनी नि:शक्तता को कभी अपनी कमजोरी नहीं मान कर पूजा ने अपनी अलग पहचान बनायी है. पूजा ने घर की जिम्मेवारियों को निभाते हुए अपनी पढ़ायी की. आज पूजा एसबीआइ में लिपिक के पद पर कार्यरत है.
पूजा के पिता (स्व बबली जायसवाल) का बीमारी के कारण वर्ष 2011 में निधन हो गया. पिता के निधन के बाद घर चलाने की जिम्मेदारी पूजा पर आ गयी. इसके बावजूद पूजा विचलित नहीं हुई. पूरी तत्परता के साथ ट्यूशन पढ़ा कर घर चलाने ने लगी. इस दौरान पूजा ने अपनी पढ़ाई भी बखूबी की.
इसी बीच वर्ष 2012 में एसबीआइ में लिपिक के पद नियुक्ति हुई. मूल रूप से जमशेदपुर की रहनेवाली पूजा छोटे भाई को पढ़ाने के अलावा खुद भी पढ़ाई कर रही है. पूजा ने अपने पिता के सपनों को पूरा किया. मगर आज भी पूजा को पिता की कमी जरूर खलती है. फिर भी घरवालों को पिता की कमी का एहसास नहीं होने देती व घर की जिम्मेवारियों को अभिभावक के रूप में निर्वहन करती है.
पूजा के काम से सभी रहते हैं खुश
पूजा अपने काम को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाती है. इस संबंध में बैंक कर्मियों ने कहा कि कोई भी काम गंभीरता के साथ करती है. कभी किसी को शिकायत का मौका नहीं दिया. उसके काम से सभी खुश रहते हैं. सहकर्मी कभी उसे पूजा को नि:शक्त होने का एहसास नहीं होने देते.