देवघर: लौह अयस्क और मैगनीज उत्खनन के लिए केंद्र की यूपीए सरकार द्वारा गठित जस्टिस एमबी शाह की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गयी है. इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं.
उक्त बातें देवघर सर्किट हाउस में गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने प्रेस कांफ्रेंस में कही. उन्होंने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट में झारखंड के सिंहभूम जिला स्थित सारंडा जंगल में हो रहे अवैध खनन की रिपोर्ट है. इससे साफ हो गया है कि सारंडा के प्रति प्रेम दर्शाने वाली कांग्रेस ने कमजोर सरकार बनाकर खनिज के लूट खसोट को बढ़ावा दिया है. इस क्षेत्र में 42 कंपनियां खनन लीज लेकर काम कर रही है. नियमों के विपरित अधिकांश कंपनियां खनन कार्य कर रही है. इससे झारखंड को प्रति वर्ष 15 हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
जो लगभग झारखंड के बजट के बराबर है. सांसद ने कहा कि वे केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि इतने बड़े मामले की सीबीआइ जांच हो.
देश की सबसे बड़ी धरोहर है सारंडा
रिपोर्ट में स्पष्ट है कि सारंडा देश की सबसे बड़ी धरोहर है. इस जगंल से होकर नौ नदियां निकलती है-कोरो, सोना बराकर, कोयल, औरंगा, बंसलोई, खरकई, गुमानी और बैतरनी नदी का अस्तित्व समाप्त हो रहा है. यहां कभी 286 प्रकार के औषधीय पौधे/वृक्ष हुआ करता था. धड़ल्ले से हो रहे उत्खनन के कारण ये भी लगभग समाप्त हो गये हैं.
ब्यूरोक्रेट्स, माइनिंग अफसर, प्रशासन व नक्सलियों के संरक्षण में चल रहा है अवैध खनन
जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इलाके में नक्सलियों का प्रभाव बढ़ाने में माइनिंग का बहुत बड़ा हाथ है. यहां 11523 हेक्टेयर भूमि खनन के लिए लीज दिये गये हैं. इसके अलावा 19 और माइनिंग लीज के लिए 9186 हेक्टेयर जमीन देने का प्रस्ताव झारखंड सरकार ने दिया है. नक्सली, नेता, ब्यूरोक्रेट्स, माइनिंग अफसर गंठजोड़ के कारण अवैध खनन भी इस इलाके में धड़ल्ले से हो रहा है. यहां माइनिंग में लगी कंपनियां नक्सलियों को बड़ी राशि लेवी के रूप में देती है. बड़ी राशि लेवी के रूप में मिलने से नक्सली संसाधनों से मजबूत हो रहे हैं.
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष नवल किशोर राय, भाजपा के महगामा के वरीय नेता एनके सिन्हा, गोड्डा के राजेश मंडल, गोपाल राय, नारायण दास, रीता चौरसिया, शंकर दास, मुकेश पाठक, राकेश रंजन आदि मौजूद थे.