देवघर: सदर अस्पताल में गुणवत्ता व स्तरीय मानकों को ताक पर रख कर दवा की खरीद की गयी है. अस्पताल में बर्न मरीज या त्वचा के संक्रामक रोगों के लिए दी गयी (सिल्वेज) क्रीम एक ही बैच और एक ही तरह के डिब्बा में दो कलर की क्रीम मिली है. इसमें एक कलर बिल्कुल व्हाइट और दूसरा मटमैला कलर का है.
दवा की मैनूफैरिंग लेबोरेट फॉर्मायुटिक्लस इंडिया लिमिटेड ने किया है. जिस दवा को मरीजों के बीच वितरित जा रही है. इससे मरीजों को संदेह हो रहा है कि ये दवा सही है या नहीं. कहा जाये तो मरीजों के जान के साथ स्वास्थ्य विभाग खेल रहा है. दवा के जानकार बताते हैं कि इस तरह के दवा उपयोग से मरीजों की त्वचा पर गलत प्रभाव पड़ सकता है.
बतातें चले कि पिछले दिनों कुछ दवा की शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य विभाग ने आनन-फानन में दवा वितरण पर रोक लगा दी. इस मामले में कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. दवा आपूर्ति की निष्पक्ष जांच की जाये तो कई बड़े अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है. वहीं स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी परदा डालने पर लगे हैं.
कुछ दवा को जांच में भेजा गया
नियोफैक्स सी-कफ सिरप की बोतलों में एक ही बैच नंबर के तीन बोतलों में अलग-अलग रंग की दवा पायी गयी है. इसका खुलासा ड्रग टीम के केमिकल जांच में लिये सैंपल के दौरान हुआ है. इसके जांच के लिए लेबोरेटरी भेजा गया है. ये दवा भी संदेह के घेरे में है.