देवघर: देवघर भूमि घोटाला का कारण बना एलए की जमीन की रजिस्ट्री देवघर निबंधन कार्यालय में फिर से चालू कर दिया गया है. जबकि तत्कालीन डीसी मस्तराम मीणा ने ज्ञापांक 1343 में दो जुलाई 2011 को पत्र जारी कर एलए की जमीन रजिस्ट्री पर रोक लगायी थी.
श्री मीणा ने जांच के बाद एलए एक्ट 25 ए तथा एसपीटी की धारा 53 के तहत अर्जित जमीन (एलए) का भू-सत्यापन, बिक्री, हस्तांतरण, दाखिल-खारिज एवं इससे संबंधित सृजित जमाबंदी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी.लेकिन पिछले कई दिनों से देवघर निबंधन कार्यालय में बंद पड़ी जमीन की रजिस्ट्री फिर से चालू होने के दौरान एलए जमीन की भी रजिस्ट्री चालू कर दी गयी है.
वर्तमान अवर निबंधक का कहना था कि उपायुक्त के मौखिक आदेश पर सभी प्रकार की जमीन की रजिस्ट्री चालू की गयी है. इसमें एलए भी शामिल है. विभागीय नियमानुसार जब कोई लिखित आदेश से रोक लगायी जाती है तो नियमानुसार सक्षम अधिकारी के पुन: लिखित आदेश पर ही उसे रद्द किया जा सकता है. लेकिन अवर निबंधक ने बगैर कोई लिखित आदेश के 2011 में तत्कालीन डीसी के आदेश को दरकिनार कर एलए जमीन की रजिस्ट्री चालू कर दी.
डीसी ने जांच में क्या पाया था
1932 के गेंजर प्रतिवेदन के कंडिका 30 में दिये गये धारा 25 ए 1886 के तहत जमीन अधिग्रहण किसी विशेष परिस्थिति में मकान एवं बागवानी हेतु की जाती थी. इसमें यह भी वर्णित है कि संथाल परगना की यह परंपरा है कि इस एक्ट के तहत अधिग्रहित जमीन बसौड़ी बन जाती थी. परंतु तत्कालीन डीसी मस्तराम मीणा ने देवघर अभिलेखागार एवं अन्य कागजाती जांचोपरांत व राजस्व अभिश्रव के मिलान करने पर पाया था कि काफी फर्जी एलए के कागजात तैयार कर उसे अभिलेखागार में जमा कर पुन: उसका नकल निकालकर अपनी जमीन को वैध कराकर उसे बिक्री का प्रयास किया जा रहा है. इसमें बहुत सारे एलए/सरकारी जमीन/गोचर/पोखर का भी पाया गया. इसके अतिरिक्त एलए के तहत जिस उद्देश्य के लिए जमीन दी गई थी, उसकी पूर्ति जमीन लेने के द्वारा नहीं गयी थी.