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पेच में फंस गयी 803 हेक्टेयर भूमि में जंगल की सुरक्षा
देवघर : जिले में 2010 से 2017 तक सामाजिक वानिकी प्रमंडल द्वारा कुल 803 हेक्टेयर वन भूमि पर लगाये गये पौधों की सुरक्षा विभागीय पेच में फंस गयी है. इसमें मनरेगा, राज्य योजना, कैंपा योजना के तहत 45 गांवों में सात वर्षों के दौरान अलग-अलग प्रजातियों के पौधे लगाये थे, इसमें अधिकांश भूमि में जंगल […]
देवघर : जिले में 2010 से 2017 तक सामाजिक वानिकी प्रमंडल द्वारा कुल 803 हेक्टेयर वन भूमि पर लगाये गये पौधों की सुरक्षा विभागीय पेच में फंस गयी है. इसमें मनरेगा, राज्य योजना, कैंपा योजना के तहत 45 गांवों में सात वर्षों के दौरान अलग-अलग प्रजातियों के पौधे लगाये थे, इसमें अधिकांश भूमि में जंगल तैयार हो चुका है. अब अगर सुरक्षा नहीं की गयी तो फिर जंगल खतरे में पड़ सकता है.
जंगलों की सुरक्षा के लिए सामाजिक वानिकी प्रमंडल ने वन विभाग का दूसरा विंग प्रादेशिक वन प्रमंडल को जंगल हेंडअोवर करना चाह रही है, लेकिन प्रादेशिक वन प्रमंडल इसे टेकओर करने को तैयार ही नहीं है. सामाजिक वानिकी प्रमंडल के डीएफओ मानेल टुडू द्वारा प्रादेशिक वन प्रमंडल के डीएफओ को कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन टेकओवर अब तक नहीं लिया गया.
अंत में डीएफओ मानेल टुडू ने वन संरक्षक समेत विभाग के उच्चाधिकारियों को यह शिकायत पत्र के जरिये भेज दी है. श्री टुडू के अनुसार 31 मार्च 2018 तक वनरोपण कर लिया गया है, इसमें कुछ वनों का हस्तांतरण तो हो गया है, लेकिन अभी भी शेष वनों को हस्तांतरण स्वीकार नहीं किया गया है. इसे पूरी तरह गंभीरता से लेने की जरूरत है.
सुरक्षा की िजम्मेदारी से भाग रहे अधिकारी
वनों की सुरक्षा कर जिम्मेदारी नहीं लेने के कारण जंगलों पर संकट आ गया है. इस अनदेखी की वजह से जंगल उजड़ रहे हैं. असुरक्षा के कारणों से जंगलों की व पौधों की देखभाल सही ढंग से नहीं हो पा रही है. जिस कारण जंगलों की कटाई पर भी रोक नहीं लग पा रही. विभागीय मापदंड के अनुसार वन भूमि में वनरोपन का कार्य पूरा होने के तीन वर्ष बाद पौधों की सुरक्षा के लिए जंगल प्रादेशिक वन प्रमंडल को हेंडओवर कर देना है. ताकि, वनों की सुरक्षा फोरेस्ट गार्ड व वन प्रबंधन समिति द्वारा नियमित रुप से किया जा सके. फोरेस्ट गार्ड प्रादेशिक वन प्रमंडल के अधीन रहते हैं.
किस रेंज में नहीं लिया गया टेकओवर
मधुपुर रेंज: रजिरिगुआमारनी, बाघरायडीह, पहरियाटांड़, घाघरजोरी, कियाजोरी, नाढ़ासिमल, कोदारखोसो, छतरा, गोराडीह, पन्हैयासिंघा, मथुरापुर, चपरी, सलैया, पथलजोर, नैयाडीह, जमुआ, बैजूटांड़, बेलकुकराहा, लालपुर, रघुनाथपुर, बरमसिया, लालपुर, हरदिया, सिरियारान्हा, दासडुमर, सोनाजोरी, बुढ़ई.
सारठ रेंज: गोपालकनाली, सिगढ़िया, धमनी, तीनघड़ा, सरपत्ता, तेतरिया, पिठलापुर, करमाटांड़, सामलापुर, हथवारी.
मोहनपुर रेंज: खूटाबांध, रक्सा, बांझी, ढाव, जमुनियाटांड़.
देवघर रेंज- राधेमोहडार व मंझियाना.
कहते हैं अधिकारी
वनरोपण के बाद पौधों को हेंडओवर जो प्रक्रिया होती है, वह विधिवत नहीं अपनाया गया है. हेंडओवर करने से पहले दोनों विंग के अधिकारी एक तिथि निर्धारित कर संयुक्त निरीक्षण करेंगे. उसके बाद पौधों की आकलन कर वनों के हैंडओवर व टेकओवर की प्रक्रिया पूरी होगी. इस मामले में दोनों विंग के डीएफओ को पूरी प्रक्रिया के तहत एक माह के अंदर हेंडओवर व टेकओवर करने को कहा गया है. वनों की सुरक्षा के लिए टेकओवर जरूरी है. विभाग गंभीर है.
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