28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

देवघर : शौच के लिए आज भी अंधेरे का इंतजार करतीं महिलाएं

देवघर : स्वच्छ भारत मिशन के तहत देवघर जिले को आनन-फानन में खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है. देवघर में एक लाख 49 हजार 850 शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. विभाग का दावा है कि लक्ष्य के अनुपात में शत-प्रतिशत शौचालय निर्माण का काम पूरा कर लिया गया […]

देवघर : स्वच्छ भारत मिशन के तहत देवघर जिले को आनन-फानन में खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है. देवघर में एक लाख 49 हजार 850 शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. विभाग का दावा है कि लक्ष्य के अनुपात में शत-प्रतिशत शौचालय निर्माण का काम पूरा कर लिया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. आज भी प्रखंडों में हजारों घरों में शौचालय नहीं है. ग्रामीण खुले में शौच जानने को विवश हैं. महिलाएं आज भी अंधेरे का इंतजार करती हैं या फिर अहले सुबह शौच के लिए निकलती हैं.
कागज पर पूरा हो गया शौचालय, निकाल ली राशि
सारठ बाजार : सारठ प्रखंड को मार्च में ही ओडीएफ घोषित कर दिया गया, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आज भी दर्जनों गांव में लोग खुले में शौच जा रहे हैं. कचुवाबांक पंचायत के ढोढोडुमर गांव में रामू महतो, सुरेश महतो, फूलचंद महतो, बलराम महतो समेत कई लाभुकों के शौचालय अधूरे हैं, लेकिन पूरी राशि निकाल ली गयी है.
कई लाभुकों ने बताया कि पीएचइडी व जल सहिया ने शौचालय का निर्माण दिसंबर माह में कराना शुरू किया. शौचालय का कमरा तो पूरा कर दिया, लेकिन टंकी का गड्डा अधूरा छोड़ दिया. कई शौचालयों में दरवाजे भी नहीं लगाये गये हैं. चार माह बीत जाने के बाद भी गड्डे अधूरे हैं. लाभुकों ने बताया कि शौचालय निर्माण की राशि भी निकाल ली गयी है.
सबैजोर पंचायत के जमुआ गांव के दत्ता टोला में करीब 40 घर हैं, जिनमें तीन परिवारों ने ही शौचालय का निर्माण कराया है. बाकी लोग आज भी खुले में शौच करने बाहर जाने के लिए विवश हैं. ग्रामीण नेपाल दत्ता, सुनील दत्ता, जयदेव दत्ता, किशोरी रवानी, महादेव रवानी, राजेश रावनी ने बताया कि शौचालय निर्माण को लेकर पिछले साल 17 सितंबर को आवेदन दिया था.
पृथ्वीबांध में 55 परिवार हैं, जिनमें मात्र 20 परिवारों ने ही शौचालय का निर्माण कराया है. बाकी परिवारों के लोग आज भी खुले में शौच करने जाते हैं. गांव के गोपाल राय, पंकज राय व रंजन राय ने बताया कि जल सहिया व पीएचइडी के प्रखंड समन्वयक के कहने पर कर्ज लेकर शौचालय निर्माण कराया था, लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी राशि का भुगतान नहीं किया गया. पथ्वीबांध की जल सहिया लक्ष्मी देवी ने कहा कि 55 में से मात्र 20 परिवारों के ही शौचालय बने हैं.
ओडीएफ घोषित, लेकिन साढ़े तीन हजार शौचालय अब भी अधूरे
पालोजोरी : आज भी कई ऐसे गांव हैं, जहां शौचालय का निर्माण कार्य अब भी चल रहा है़ वहीं कई गांवों में शौचालय का निर्माण पूरा हो जाने के बाद भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं. कई जगह शौचालय का निर्माण जैसे-तैसे पूरा कर खाना पूर्ति की गयी है़ गांवों में कुल 23 हजार 884 शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित था़
इसके लिए 31 मार्च का तिथि भी तय थी, लेकिन अब तक करीब साढ़े तीन हजार शौचालय का काम चल रहा है़ प्रखंड की करीब सभी पंचायतों के एक-दो गांवों में शौचालय अधूरे हैं. कुंजबोना पंचायत के ऊपर टोला में अब भी शौचालय का निर्माण होना शेष है़ इस टोले की कुल आबादी करीब साढ़े तीन सौ है़
कुंजबोना पंचायत के ऊपर टोला की आबादी करीब साढ़े तीन सौ है. ग्रामीण सह आरटीआइ एक्टिविस्ट कुंदन कुमार सिंह व खैरवा गांव की काजल पांडेय ने बताया कि गांव में शौचालय बना ही नहीं और पूरे जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया़ गांव के लोग आज भी खुले में शौच जाने को विवश हैं. गांव में जल्द से शौचालय का नर्मिाण होना चाहिए़
बांघडीह पंचायत के जयनगरा गांव में शौचालय तो बने, लेकिन ज्यादातर लोग इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं. गांव के सोनामुनी मरांडी के घर में शौचालय बना है़, लेकिन उसका उपयोग आज तक नहीं हुआ है़ शौचालय के सामने गंदगी का अंबार है़ छत पर पुआल रखा गया है़ शौचालय के पैन में गंदगी का अंबार है़ चारों ओर मकड़ी का जाला फैला हुआ है़ गांव के निर्मल टुडू ने बताया कि कभी-कभी इसके अंदर शौच करने जाते हैं.
कोलियरी के सुरक्षा कार्यालय में शौचालय सुविधा नहीं
चितरा : करोड़ों का मुनाफा देने वाली चितरा कोलियरी के क्षेत्रीय कार्यालय परिसर व सुरक्षा विभाग के कार्यालय में सार्वजनिक शौचालय नहीं है. दोनों जगह महिलाएं काम करती हैं. कोलियरी प्रबंधन समय-समय भारत स्वच्छता मिशन के तहत कई कार्यक्रम आयोजित स्वच्छ भारत बनानेे के वादे भी मंच पर करता है. इसके बावजूद चिराग तले अंधेेरा वाली कहावत चरितार्थ होती है.
कई बार जेसीसी मीटिंग में भी यूनियन प्रतिनिधियों ने शौचालय बनवाने मांग की है. फिर भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया जा रहा है. क्षेत्रीय कार्यालय के मुुख्य द्वार पर सुरक्षा प्रहरी का काम कर रही फूलमणि मरांडी ने कहा कि वर्षों से चितरा कोलियरी में काम कर रही हूं. उसके बावजूद प्रबंधन शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है. इससे उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
सुमन देेवी ने कहा कि सुरक्षा का जिम्मा उन्हें दिया गया है, लेकिन बहुत ही शर्म की बात है कि क्षेत्रीय कार्यालय परिसर व सुरक्षा विभाग के कार्यालय में सार्वजनिक शौचालय नहीं बनवाया गया है. बड़े अधिकारियों के चैंबर में अटैच शौचालय बनवाया गया है.
रसौदी मंझियाइन ने कहा कि करोड़ों रुपयेे का मुनाफा अर्जित करने वाली चितरा कोलियरी के कार्यालय परिसर में शौचालय नहीं रहना बेहद दुखद स्थिति है. कोलियरी प्रबंधन को महिलाओं के सम्मान को देखते हुए शीघ्र शौचालय का निर्माण कराना चाहिए.
मधुपुर : कई गांवों में अब भी नहीं बने हैं शौचालय
मधुपुर : कई गांवों में शौचालय का टैंक धंस चुका है. इतना ही नहीं शौचालय से टैंक तक जाने वाला पाइप भी टूट गया है. पानी के अभाव में भी शौचालय का प्रयोग ग्रामीण नहीं कर पा रहे हैं. प्रखंड के सिकटिया पंचायत टोला धावाटांड़ आदिवासी बहुल गांव है. इस गांव में 30 घर की आबादी है, लेकिन एक भी शौचालय का निर्माण इस गांव में नहीं कराया गया है.
को-ऑर्डिनेटर रीना ने बताया कि ग्राम जल स्वच्छता समिति व स्वयं सहायता समूह के माध्यम से शौचालय निर्माण कराया जा रहा है. लाभुकों का ऑनलाइन आवेदन जमा किया गया है. शौचालय निर्माण के लिए उनके खाते में राशि भेजी जायेगी. स्वयं शौचालय निर्माण करने वाले लाभुकों को सरकार से उपलब्ध सहायता राशि दी जायेगी. इसके बावजूद इसके कई गांव में अब भी शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है.
खुले में शौच जाते हैं आदिवासी टोले के लोग
देवीपुर. निर्मल भारत अभियान के तहत देवीपुर में पूरे जोश के साथ शौचालय निर्माण का कार्य शुरू हुआ था. तीन वर्ष से ज्यादा बीत जाने के बाद भी यहां शौचालय नहीं बन सके हैं. लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. देवघर जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है.
जानकारी हो कि टटकियो तुरी टोला में आज भी कई शौचालय अधूरे पड़े हैं. लाभुक अनीता देवी व छट्टू तुरी ने बताया कि शौचालय नहीं रहने से वे शौच के लिये बाहर ही जाते हैं. वहीं राजपुरा पंचायत के धनीटांड़ आदिवासी गांव में आज तक शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है.
पानी के अभाव में शौचालय का नहीं हो रहा उपयोग, खुले में शौच जाते हैं ग्रामीण
मारगोमुंडा. प्रखंड में शौचालय का निर्माण कार्य तकरीबन पूरा हो चुका है. कई जगह पानी के अभाव में अब भी कुछ लोग बाहर शौच करने जाते हैं. पीने के पानी के लिए आये दिन मशक्कत करनी पडती है तो फिर शौचालय में शौच करने के लिए कहां से पानी लायें. सरकार को शौचालय के साथ साथ पानी की व्यवस्था करनी चाहिए थी. पानी के आभाव में शौचालय का प्रयोगा नहीं हो पा रहा है.
80 हजार की आबादी पर नौ हजार ही बने शौचालय
सोनारायठाढ़ी : सोनारायठाढ़ी को 19 अप्रैल 2017 को ही पूर्ण रूप से ओडीएफ घोषित कर दिया गया. इसको लेकर मगडीहा पंचायत में डीसी ने शौचालय निर्माण कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया. एक साल बाद भी प्रखंड के लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. इस बाबत आम लोगों ने बताया की गांव में कई लोगों का शौचालय बना तो है, लेकिन विभाग ने जैसे-तैसे बना दिया है.
इसके कारण लोग उसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. वहीं गांव में कई लोगों का शौचालय नहीं बना है. इसके कारण गांव के अधिकतर लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. प्रखंड की आबादी तकरीबन 80 हजार है, जिसमें मात्र नौ हजार लोगों को ही शौचालय का लाभ मिल पाया है. दोंदिया पंचायत के कुशमाहा गांव निवासी दीनदयाल यादव ने बताया कि उन लोगों को शौचालय का लाभ नहीं मिल पाया है.
मजबूरन उन लोगों को खुले में ही शौच जाना पड़ रहा है. ठाढ़ीलपरा पंचायत के सिमरा गांव निवासी जगदीश नोनिया ने बताया कि उनकी पंचायत में आधा से अधिक लोगों को शौचालय का लाभ नहीं मिला है. जिनको शौचालय मिला है, वे भी खुले में शौच कर रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें