15 दिन से छत्तीसगढ़ पुलिस की दो टीमें कर रही थी काम
बिहार-झारखंड के कई जिलों के अपराधियों का है संगठित गिरोह
गिरिडीह के दो युवकों की है तलाश
भाड़े पर एटीएम कार्ड लेकर पैसे की करते थे निकासी
फेसबुक पर लिखे नंबर से हुआ ट्रेस
मधुपुर : साइबर अपराधियों के एक संगठित गिरोह के सदस्यों ने अलग-अलग लोगों के बैंक खातों से 46 लाख की राशि उड़ा ली. इनमें कई मामले छत्तीसगढ़ में दर्ज किये गये हैं. साइबर अपराधी बैंक प्रबंधक बन कर लोगों को अपने झांसे में लेते थे और एटीएम का पिन व ओटीपी हासिल कर पैसे उड़ा लेते थे. इस मामले में छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सिटी कोतवाली पुलिस की एक टीम ने थाना क्षेत्र के पटवाबाद में छापेमारी कर गिरोह के सदस्य मो अफरोज को गिरफ्तार किया.
अफरोज के निशानदेही पर पुलिस ने जामताड़ा जिले के नारायणपुर थाना अंतर्गत शंकरपुर से भागीरथ पंडित व सिकरपोसनी से हरिहर मंडल को गिरफ्तार किया है.
भागीरथ सीएसपी का संचालक भी बताया जाता है.
पुलिस ने बताया कि साइबर अपराधियों का एक संगठित गिरोह है. जिसमें धनबाद, जामताड़ा, गिरिडीह, देवघर जिले के अलावा बिहार के रोहतास जिले के भी कई लोग संलिप्त हैं. यह गिरोह पिछले दो साल से काफी सक्रिय है. गिरोह के सदस्यों का काम आपस में बंटा हुआ था.
गरीबों का एटीएम कार्ड भाड़े पर लेकर साइबर अपराधियों को बेच देते थे : पटवाबाद से पकड़े गये अफरोज का काम गरीब लोगों से एटीएम भाड़े पर लेकर साइबर अपराधियों को ऊंचे दाम पर बेचना था.
हर महीने दो से 17 हजार रुपये तक का एटीएम भाड़ा लिया जाता था. वहीं हरिहर मंडल प्रबंधक बन कर ग्राहकों को फोन करता था, जबकि कुछ लोग एटीएम से पैसे की निकासी करते थे. सिटी कोतवाली पुलिस ने बताया कि इस गिरोह के दस्तावेज, बैंक खाता आदि खंगालने पर पता चला कि अब तक 46 लाख से अधिक रकम की ठगी अलग-अलग लोगों से की गयी हैै. अभी अनुसंधान जारी है. बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ पुलिस की अलग-अलग टीमें पिछले 15 दिनों से इस गिरोह की तलाश में जगह-जगह छापेमारी कर रही थी.
बिहार के रोहतास के डेहरी ऑन सोन के एक युवक को हिरासत में लेने के बाद मधुपुर के अफरोज का पता मिला और इसके बाद कड़ी जुड़ती चली गयी. डेहरी ऑन सोन के युवक का एटीएम अफरोज ने भाड़ा पर लेकर ऊंचे दाम पर नारायणपुर के दोनों युवकों को बेच दिया था. मामले मेंं अब भी दो-तीन युवक फरार बताये जाते हैं. जिनकी तलाश पुलिस टीम को है. बताया जाता है कि अफरोज की गिरफ्तारी में फेसबुक पर लिखे फोन नंबर व कॉल ट्रेस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.
फर्जी परिचय पत्र से दे रहे थे घटना को अंजाम : साइबर अपराधी फर्जी परिचय पत्र का इस्तेमाल कर सिम ले रहे और इस सिम का प्रयोग ग्राहकों को फोन करने में कर रहे हैं. वहीं बड़े पैमाने पर गरीबों का एटीएम भी साइबर अपराधी भाड़ा पर लेकर इसका इस्तेमाल कर बचते आ रहे हैं.
सीएसपी संचालकों की भूमिका भी संदिग्ध : साइबर अपराध को बढ़ावा देने में कई सीएसपी केंद्र संचालकों की भूमिका संदेहास्पद रही है. कई बार सीएसपी केंद्र संचालक अलग-अलग साइबर मामलों में गिरफ्तार हुए हैं. साइबर अपराधियों को पैसा निकासी करने में सीएसपी केंद्र सबसे सुरक्षित जगह नजर आती है. सीएसपी केंद्र का संचालक भी नेट बैंकिंग के जरिये लगातार खाता में पैसे पर नजर रखते है और उनसे निश्चित राशि लेकर पैसे निकासी में सहयोग देते हैं.