मनुष्य के जीवन में गुरु का सानिध्य अवश्य होना चाहिए, गुरु भक्ति, प्रेम व सेवा के मार्ग बताते हैं. इससे आत्मसंतुष्टि व समृद्धि आयेगी. उन्होंने कहा कि स्वामी सत्यानंदजी का जीवन समर्पण से भरा रहा, वे कभी लोगों का अहित नहीं चाहते थे. रिखिया पंचायत के ग्रामीणों से बहुत प्रेम करते थे व ग्रामीणों का स्नेह भी उन्हें प्राप्त होता था. स्वामी सत्यानंदजी का रिखिया का प्रेम व सेवा हमेशा बरकरार रहेगा. इस वर्ष योग पूर्णिमा महोत्सव के दौरान शिव आराधना की स्मृति को कभी भूलाया नहीं जा सकता है.
निश्चित रूप से गुरु, देवी व देवता का आभास हुआ है. इस यज्ञ में प्रत्यक्ष रुप से दिव्यता को देखा गया. ईश्वर के तीन स्वरुप सत्यम, शिवम सुंदरम की उपलब्धियां कृपा व करुणा के रूप में यज्ञ में अनुभव हुआ. गुरुजी का मंगल आशीर्वाद विश्वास के साथ लेकर यज्ञ से जायेंगे, जिससे जीवन में अमंगल कभी नहीं होगा. ग्रामीणों को दिये प्रवचन के दौरान स्वामी निरंजनानंद जी भावुक हो गये.