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कर्जदार दबाए बैठे हैं ग्रामीण बैंक के तीन करोड़

सारठ: झारखंड में बैंकों के ऋण देने का आंकड़ा उत्साहजनक नहीं है. किसान हों या व्यवसायी, आम तौर पर उनकी शिकायत रहती है कि बैंक ऋण देने में नाकों चने चबवा देते हैं. हालांकि, सारठ डाकबंगला स्थित वनांचल ग्रामीण बैंक गोपीबांध शाखा की स्थिति इससे बिल्कुल उलट है. बैंक ने प्रखंड की चार पंचायतों के […]

सारठ: झारखंड में बैंकों के ऋण देने का आंकड़ा उत्साहजनक नहीं है. किसान हों या व्यवसायी, आम तौर पर उनकी शिकायत रहती है कि बैंक ऋण देने में नाकों चने चबवा देते हैं. हालांकि, सारठ डाकबंगला स्थित वनांचल ग्रामीण बैंक गोपीबांध शाखा की स्थिति इससे बिल्कुल उलट है. बैंक ने प्रखंड की चार पंचायतों के 48 गावों के दो हजार चार सौ किसानों को सात करोड़ 80 लाख का ऋण दिया है.

इसके तहत केसीसी के 80 लाख का ऋण भी शामिल है. इस बकाया के कारण बैंक के मुख्यालय से नया ऋण देने पर रोक लगा दी गयी है. वहीं वाहन ऋण के तौर पर दो सौ लोगो को दो करोड़ व बिजनेस ऋण के लिए करीब एक करोड़ ऋण दिया गया है. इस शाखा में केचुवाबांक, बसाहाटांड़, फुलचुवां व जमुवासोल पंचायतों के करीब आठ हजार खाताधारी हैं.

बताया गया कि वर्ष 2013 में तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने ऐसे लोगों को ऋण दिये, जिनसे बैंक की रिकवरी नहीं हो रही है. इस बैंक का 656 लोगों के पास तीन करोड़ बकाया हैं, जो एनपीए हो चुका है. हालांकि राशि की वसूली का प्रयास किया जा रहा है. इस स्थिति देखते हुए मुख्यालय से केसीसी नवीकरण को छोड़ कर किसी भी प्रकार के ऋण की स्वीकृति पर रोक लगा दी गयी है. तीन करोड़ एनपीए हो चुके हैं.

कहते हैं शाखा प्रबंधक

वनांचल ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक अनंत कुमार चौधरी ने कहा कि यहां 656 एेसे खाताधारी हैं, जिनके खाते एनपीए हो चुके हैं. उन पर सर्टिफिकेट केस करने की तैयारी किया जा रही है. 39 डिफॉल्टरों पर केस किया जा चुका हैं. बैंक में ऋण वसूली पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

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