जानकारी के अनुसार, स्नातकोत्तर की पढ़ाई की स्वीकृति एकीकृत बिहार के समय शिक्षा आयुक्त बिहार द्वारा दी गयी थी. इसके 33 वर्ष बीतने को हैं. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के गठन का भी 25 वर्ष पूरा हो गया है, लेकिन अबतक शिक्षकों का पद सृजित नहीं हुआ है.
शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों को पठन-पाठन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षकों के अभाव में सप्ताह में एक या दो दिन ही स्नातकोत्तर की कक्षा ली जाती है. सिलेबस के अनुरूप विद्यार्थियों की पढ़ाई नहीं हो पाती है.