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बिन दवा जा सकती है आपकी जान

देवघर : देवघर में रात में इलाज के लिए चिकित्सक तो मिल जायेंगे, लेकिन दवा नहीं मिलेगी. यह डर शहरवासियों में हमेशा बना रहता है. डर हो भी क्यों नहीं, रात में शहर की सभी दवा दुकानें बंद रहती है. दवा नहीं मिलने से मरीज तड़पते रहते हैं और उनके परिजन इधर-उधर दवा की खोज […]

देवघर : देवघर में रात में इलाज के लिए चिकित्सक तो मिल जायेंगे, लेकिन दवा नहीं मिलेगी. यह डर शहरवासियों में हमेशा बना रहता है. डर हो भी क्यों नहीं, रात में शहर की सभी दवा दुकानें बंद रहती है. दवा नहीं मिलने से मरीज तड़पते रहते हैं और उनके परिजन इधर-उधर दवा की खोज में भटकते रहते हैं. कभी-कभी तो ऐसा होता है कि दवा के लिए रातभर मरीज व परिजनों को इंतजार तक करना पड़ता है. ऐसे में मरीज के साथ किसी तरह की अनहोनी का खतरा बना रहता है.

विभाग उपलब्ध कराये जगह
पुराना सदर अस्पताल में दवा दुकानदार संघ की आपातकालीन सेवा चलती रही है, किंतु नये अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग व सिविल सर्जन द्वारा जगह उपलब्ध नहीं करायी गयी. अगर जगह मिलती है तो देवघर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन रात्रिकालीन सेवा के लिए दवा काउंटर खुलवायेगी.
अशोक कुमार गुप्ता, अध्यक्ष, देवघर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन
किसी ने नहीं की पहल
यहां सरकारी स्तर पर भी दवा की कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं देवघर के एक-दो प्राइवेट क्लिनिक को छोड़ दें, तो कहीं कोई दवा दुकान नहीं खुली रहती है. बावजूद इसके किसी जनप्रतिनिधि व समाजसेवी ने आज तक ऐसे गंभीर मुद्दे पर कोई सवाल नहीं उठाया. किसी संगठन ने भी इसके उपाय के लिए कभी नहीं सोचा. स्वास्थ्य विभाग तो इसके प्रति कभी संवेदनशील हुआ ही नहीं. प्रशासन ने भी इसकी कभी सुधि लेना उचित नहीं समझा. एनआरएचएम की तरफ से पुराना सदर अस्पताल में एक जनऔषधि केंद्र का उद्घाटन कराया भी गया था, जो आज तक कभी खुला ही नहीं.
आसपास के जिलों से भी पहुंचते हैं मरीज
देवघर में पर्यटक, सैलानी सहित श्रद्धालुओं का आना-जाना वर्ष भर लगा रहता है. वहीं आसपास दुमका, गोड्डा, बिहार के जमुई व बांका जिले के गंभीर मरीजों को भी इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया जाता है. सदर अस्पताल में भी रात को दवा का काउंटर खुला नहीं रहता है. इमरजेंसी मरीजों के लिए सिर्फ दर्द आदि की दवाइयां ही मिलती है. एक गुमटी दवा विक्रेता संघ की तरफ से पुराना सदर अस्पताल में खुली रहती तो है, किंतु वहां भी सभी तरह की जीवन रक्षक दवाइयां नहीं मिल पाती हैं. ऐसे में सुबह के बिना कोई उपाय नहीं है. कभी-कभी तो 30-40 किलोमीटर तक सफर तय कर लोग दवा खरीदने देवघर पहुंचते हैं. उन्हें भी निराश होना पड़ता है.
प्राइवेट क्लिनिक के सामने सुरक्षा है चुनौती: कुछ साल पूर्व एक-दो प्राइवेट क्लिनिक रातभर खुली रहती थी, किंतु देर रात में वहां मरीजों को कुछ होने पर हंगामा व तोड़फोड़ तक हो चुकी है. उसके बाद से ही सुरक्षा कारणों से प्राइवेट क्लिनिक में भी रात्रि कालीन सेवा बंद कर दी गयी.

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