देवघरः सुधांशु शेखर बख्शी एवं प्रशांत कुमार सिन्हा दो ऐसे शख्स हैं. जिन्होंने वर्ष 1967 में आरएल सर्राफ हाइस्कूल से हायर सेकेंडरी एवं स्नातक की शिक्षा देवघर कॉलेज देवघर से साथ-साथ किया. श्री बख्शी ने 1973 में खड़गपुर से आइआइटी पास किया. रोजगार की तलाश में एक-दूसरे से वर्ष 1977 में बिछड़ गये. लेकिन, शुक्रिया हो सोशल साइट फेसबुक का.
जिसके कारण वर्ष 2009 में बिछुड़े दो दोस्त फिर से मिल गये. ओएनजीसी अहमदाबाद से ग्रुप जेनरल मैनेजर के पद से वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त होने वाले सुधांशु शेखर बख्शी दोस्तों से मिलने की कहानी सुनाते हुए काफी भावुक हो जाते हैं. सुधांशु शेखर बख्शी मूलत: हजारीबाग (झारखंड) एवं प्रशांत कुमार सिन्हा झाझा (बिहार) के रहने वाले हैं. श्री सिन्हा वर्ष 2010 में सिंचाई विभाग मोतीहारी से एकाउंट क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. साहित्य से नजदीक का रिश्ता है. अबतक इनकी कई कहानियां प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है. बकौल बख्शी, हमलोग उस जमाने के हैं जब संपर्क का इतना अधिक माध्यम नहीं था. उस वक्त चिट्ठी लिखने का प्रचलन ज्यादा था. लेकिन, नौकरी की वजह से पता भी बदलता चला गया.
मेरा फेसबुक से काफी जुड़ाव है. एक दिन प्रशांत कुमार सिन्हा ने अपने बेटे निशांत सिन्हा से कहा कि मुङो अपने बचपन के एक दोस्त के बारे में पता करना है. नाम के आधार पर बेटे ने श्री बख्शी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दिया. रिक्वेस्ट स्वीकार कर लिया गया. इस दौरान चैटिंग से पूछा की आप ‘प्रशांत कुमार सिन्हा’ को जानते हैं. जवाब हां में मिला. फिर मोबाइल के जरिये प्रशांत कुमार सिन्हा ने संपर्क साधा और 32 वर्ष पुरानी बिछुड़े कहानी का अंत हो गया. श्री बख्शी जब कभी भी देवघर आते हैं तो अपने मित्र के घर पर जाना एवं पुरानी यादों को ताजा करना भी नहीं भूलते हैं.