इसके संरक्षण की आवश्यकता है. संस्कृत साहित्य की ऋणी ऐतिहासिक रूप से हिंदी, अंगरेजी सहित भारत की तमाम क्षेत्रीय भाषा है. 20 से अधिक शास्त्रों व आधुनिक रचनाओं में हिलोरे मारती संस्कृत भाषा अपनी प्रतिष्ठा कभी नहीं कम कर सकती है. प्रभारी प्राचार्य ने कहा कि आजादी के बाद केंद्र व राज्य की अधिकांश सरकारों ने संस्कृत की घोर उपेक्षा की है.
इस कारण केंद्र सरकार के आदर्श संस्कृत महाविद्यालयों का अनुदान घटा है. झारखंड के सभी संस्कृत महाविद्यालयों की स्थिति काफी दयनीय है. इस महाविद्यालय में पिछले तीन वर्षों से एक भी शिक्षक नहीं हैं. कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ गंगाधर झा ने किया. इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों के अलावा काफी संख्या में छात्र आदि उपस्थित थे.