सारठ: सरकारी स्कूलों पर करोड़ों खर्च होने के बाद भी शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. स्कूलों में बेंच-डेस्क व सारी सुविधाएं उपलब्ध हों और शिक्षक ही नहीं रहे तो सब व्यर्थ है. प्रखंड के सभी सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है. बेहतर परीक्षा परिणाम का दबाव तो स्कूलों पर रहता है लेकिन विषयवार शिक्षक नहीं रहने के कारण बच्चाें को समुचित शिक्षा नहीं मिल पा रही.
सारठ प्रखंड में 20 मध्य विद्यालय, 138 उप्रावि व 143 प्राथमिक विद्यालय, उत्क्रमित मध्य विद्यालय व मध्य विद्यालय मिलाकर कुल 281 हैं. इन विद्यालयों में कुल 32 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं. स्कूलों में 464 शिक्षकों की आवश्यकता है लेकिन 193 शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं. इसके अलावा 564 पारा शिक्षकों की बहाली भी है. यही नहीं जानकारी के अनुसार, 2011 से शिक्षकों की प्रोन्नति नहीं हुई है. जिस वजह से प्रधानाध्यापक का प्रोमोशन नहीं मिल पा रहा है. विभाग ना ही शिक्षकों की नियुक्ति कर पा रही है.
वर्षों से प्रधानाध्यापक का पद खाली: प्रखंड के 18 मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद वर्षों से रिक्त पड़ा हुआ है. रामचरण सिंह मध्य विद्यालय बालक व कन्या मध्य विद्यालय चितरा, करमा, दिग्घी, गोविंदपुर, कुकराहा, सिकटिया, लगवां, नौनी, संथालडीह, आसनबनी, ओझाडीह, उपरबहियार, पथरडडा, बामनडीहा, करैहिया व बुनियादी विद्यालय सबैजोर है.
प्राथमिक शिक्षकों को जिला कार्यालय द्वारा वर्ष 2011 से प्रोन्नति नहीं दी गयी है. स्कूलों शिक्षकों के खाली पद भरने का भी प्रयास नहीं किया जा रहा है. संघ ने कई बार आंदाेलन किया है. अगर मांगें नहीं मानी गयी तो नौ सितंबर को धरना-प्रदर्शन किया जायेगा.
विराम चंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष, जिला प्राथमिक संघ