इसके लिए स्कूलों के शिक्षकों को शिक्षित व प्रशिक्षित करने का काम चल रहा है. देवघर पहुंचे एडिशनल कमिश्नर ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में यह बातें कही. एडिशनल कमिश्नर ने कहा कि विद्यालयों का सुपरविजन सुनिश्चित किया गया है. इसके लिए लक्ष्य निर्धारित कर जो भी योजना बनायी जायेगी उसे प्रिंसिपल वेरिफाई करेंगे. आज बहुत सारे सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, इस वजह से शैक्षणिक कार्य नहीं हो पा रहा है. कहीं-कहीं स्कूल भवन नहीं है. एक ही शिक्षक को कई कक्षाओं में पढ़ाना पड़ता है.
शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए ऐसे शिक्षकों को लिया जा रहा है जो शिक्षक के लिए तैयार ही नहीं हैं. बेहतर पठन-पाठन के लिए शिक्षकों को काफी शिक्षित-प्रशिक्षित करने की जरूरत है. सीखाने के नाम पर हम बच्चों को और भी अधिक अपने ऊपर आश्रित करने का काम कर रहे हैं. शिक्षा का मूल सवाल बच्चों को कैसे आत्मनिर्भर बनायें व स्वयं पढ़ने योग्य बनाये है. शिक्षा का मतलब सिर्फ पढ़ना-लिखना ही नहीं है. नयी शिक्षा व्यवस्था में शर्म का बोध आ गया है. आज बच्चों को ऐसे मैसेज दे रहे हैं कि अपना काम करना छोटा काम हो गया है. किसी भी काम में छोटा-बड़ा का भेद नहीं होना चाहिए. यह तभी होगा, जब एक समान शिक्षा व्यवस्था बहाल होगी. सीबीएसइ को प्रस्ताव दिये हैं कि छह विषय में पांच विषय में पास करने की आजादी दी जाये. मैथ, अंगरेजी, साइंस व सोशल साइंस में से किसी एक में फेल होने पर रिजल्ट पर असर नहीं पड़े. लेकिन खेलकूद, कसरत, संगीत आदि में से कोई एक विषय में पास करना जरूरी कर दें. यह लागू होता है तो इसका ज्यादा फायदा विद्यार्थियों को होगा. केवीएस के पास जिला प्रशासन द्वारा स्कूल खोलने से संबंधित कोई प्रस्ताव आता है तो अविलंब विचार किया जायेगा.