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जानिए क्‍यों वैद्यनाथ मंदिर के सरदार पंडा ने कहा, बाबा वैद्यनाथ को विवादित करने की हो रही साजिश

II संजीत मंडल II देवघर : जहां एक साल में एक करोड़ से भी अधिक शिवभक्त पहुंचते हैं, जहां शिव भक्तों का विश्व का सबसे लंबा मेला (श्रावणी मेला) लगता है. ऐसे करोड़ों लोगों की भक्ति व आस्था के केंद्र को बेवजह विवादित करने की साजिश रची जा रही है. बेकार का विवाद खड़ा कर […]

II संजीत मंडल II
देवघर : जहां एक साल में एक करोड़ से भी अधिक शिवभक्त पहुंचते हैं, जहां शिव भक्तों का विश्व का सबसे लंबा मेला (श्रावणी मेला) लगता है. ऐसे करोड़ों लोगों की भक्ति व आस्था के केंद्र को बेवजह विवादित करने की साजिश रची जा रही है.
बेकार का विवाद खड़ा कर महाराष्ट्र के कुछ लोग परली वैद्यनाथ को ज्योतिर्लिंग और असली साबित करने पर तुले हैं. इसके लिए विद्वानों का जुटान तक करने पर आमादा हैं. लेकिन बाबा वैद्यनाथ मंदिर के सरदार पंडा, यहां के पुरोहित, मंदिर के ट्रस्टी, पंडा धर्मरक्षिणी सभा के प्रतिनिधियों का मानना है कि जिस बाबा वैद्यनाथ के ज्योतिर्लिंग होने के सारे प्रमाण धर्मशास्त्रों में मौजूद है, वहां विद्वानों का जुटान भला क्यों होगा.
इसमें कहीं कोई संशय नहीं है कि देवघर के बाबा वैद्यनाथ ही देश के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक हैं. देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ को किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. बाबा वैद्यनाथ मंदिर के सरदार पंडा अजीतानंद ओझा कहते हैं, किसी के कहने से बाबा वैद्यनाथ का द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्जा समाप्त नहीं होनेवाला है. द्वादश ज्योतिर्लिंग चिताभूमि देवघर ही है. वेद-पुराण वअन्य धर्मग्रंथों में इसके पुख्ता प्रमाण हैं.
उन्होंने कहा, उज्जैन में आयोजित शैव महोत्सव को ज्योतिर्लिंग निर्धारित करने का अधिकार नहीं है. किसी भी मंदिर के शिलापट पर लिखवा लेने से वह ज्योतिर्लिंग नहीं हो जायेगा. रही बात परली वैजनाथ की, तो महादेव हैं, पूजनीय हैं. सरदार पंडा ने कहा कि यह कोई विवाद का विषय ही नहीं है. बेकार की चीजों को बढ़ावा भी नहीं देना चाहिए.
शैव महोत्सव में ज्योतिर्लिंग निर्धारित करने का अधिकार नहीं
परली वैद्यनाथ को प्रसिद्धि दिलाने की साजिश रची गयी
साल भर में एक करोड़ से अधिक शिव भक्त पहुंचते हैं देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम
विश्व का सबसे लंबे समय का मेला यहीं लगता है
देवघर में बाबा वैद्यनाथ हैं, क्योंकि यह चिताभूमि और हृदयपीठ है, जो अन्य कहीं नहीं है
शास्त्रों में वर्णित हैं सारे साक्ष्य
शंकराचार्यों ने भी माना देवघर के वैद्यनाथ को ही द्वादश ज्योतिर्लिंग
देवघर के पुरोहितों ने कहा : सारे प्रमाण धर्मशास्त्रों में, िवद्वानों का जुटान क्यों होगा
देवघर में चिताभूमि व हृदयपीठ : डॉ मोहनानंद
प्रसिद्ध शोधकर्ता डॉ मोहनानंद मिश्र के वैद्यनाथ वांग्मय के अनुसार, देवघर को छोड़ देश में कहीं भी चिताभूमि और हृदयपीठ एक साथ नहीं. जहां सती का हृदय गिरा है, वहीं बाबा वैद्यनाथ हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां चंद्रकांतामणि भी है, जो परली या अन्य कहीं नहीं है. परली में बाबा वैद्यनाथ हो सकते हैं, लेकिन ज्योतिर्लिंग तो देवघर के बाबा वैद्यनाथ ही हैं. यह शास्त्रों में वर्णित है.
मंिदर के ट्रस्टी कृष्णानंद झा बोले
कुछ लोगों की साजिश
बाबा वैद्यनाथ मंदिर के ट्रस्टी कृष्णानंद झा कहते हैं, बाबा वैद्यनाथ कोई विवाद का विषय ही नहीं हैं. चाहे देवघर के बाबा वैद्यनाथ हों या परली के वैजनाथ. लेकिन जहां ज्योतिर्लिंग की बात आयेगी, तो देवघर के बाबा वैद्यनाथ ही द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं. कुछ लोग जानबूझ कर परली को प्रसिद्धि दिलाना चाहते हैं. इस कारण बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं. जो अनुचित है.
इससे उन्हें कुछ हासिल होनेवाला नहीं है, क्योंकि जो सत्य है, उसे प्रमाण की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, महाराष्ट्र सरकार टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए परली को प्रसिद्धि दिलाने को प्रयासरत है. पर्यटन के रूप में वे परली को विकसित करें, लेकिन जो दावा कर रहे हैं, वह अनुचित है.
वैद्यनाथ मंदिर होने के नाते परली वैजनाथ भी पूजनीय हैं. लेकिन इस मुद्दे को बेवजह उछाला जा रहा है. बिना साक्ष्य विवाद खड़ा करके सनातन धर्म को छोटे-छोटे समूह में बांटने का प्रयास किया जा रहा है. वेद-पुराण व अन्य धर्मशास्त्रों में इसके पर्याप्त साक्ष्य हैं. उनके पास क्या साक्ष्य हैं, उसे दिखायें.
पंडा धर्मरक्षिणी सभा ने कहा
प्रमाण की जरूरत नहीं
पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष डॉ सुरेश भारद्वाज ने कहा, बाबा वैद्यनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंग होने पर सवाल खड़ा करना दुर्भाग्यपूर्ण है. हम परली वैजनाथ को भी नमन करते हैं.
लेकिन देवघर के बाबा वैद्यनाथ पर कोई विवाद नहीं है. देवघर के ज्योतिर्लिंग को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. हम भी शैव महोत्सव में गये थे. वहां ज्योतिर्लिंग पर कहीं कोई विवाद का मुद्दा उठा ही नहीं. यह कुछ लोगों के दिमाग की उपज है. जहां भी वैद्यनाथ मंदिर हैं, सभी आस्था के केंद्र हैं, पूजनीय हैं. कहीं कोई विरोध नहीं है. विद्वानों के जुटान पर डॉ भारद्वाज ने कहा कि जो लोग भी विद्वानों का जुटान करवा रहे हैं, वे सार्वजनिक आयोजन करें, खुला डिबेट हो. सबको बुलाया जाये.

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