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बाबा ने युवक की पहचान की
इटखोरी : श्रीराम जानकी विश्वकर्मा मंदिर के पुजारी अलुवा बाबा को पिछले 10 दिन से परेशान करनेवाले युवक की पहचान कर ली गयी. बाबा ने ही उक्त शरारती युवक की पहचान की है. युवक को पकड़ने में बाबा को मामूली चोट भी लगी है कौलेश्वरी पहाड़ पर्यटकों से गुलजार कई पर्यटक मरने से पूर्व कराते […]
इटखोरी : श्रीराम जानकी विश्वकर्मा मंदिर के पुजारी अलुवा बाबा को पिछले 10 दिन से परेशान करनेवाले युवक की पहचान कर ली गयी. बाबा ने ही उक्त शरारती युवक की पहचान की है. युवक को पकड़ने में बाबा को मामूली चोट भी लगी है
कौलेश्वरी पहाड़ पर्यटकों से गुलजार
कई पर्यटक मरने से पूर्व कराते हैं अपना अंतिम संस्कार
तीन धर्मों का संगम स्थल है कौलेश्वरी पहाड़
हर वर्ष 15 हजार से अधिक पर्यटक पहुंचते हैं
विदेशी पर्यटक भी काफी संख्या में पहुंचे हैं
हंटरगंज. अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कौलेश्वरी पहाड़ इन दिनों पर्यटकों से गुलजार है. विदेशी पर्यटक भी काफी संख्या में पहुंचे हैं. दिसंबर से लेकर जनवरी माह तक यह पर्वत विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहता है. काफी संख्या पर्यटक यहां पहुंचकर अपने पूर्वजों की तरह जीते जी अंतिम संस्कार कार्यक्रम कराते हैं. यहां पहुंचने वाले बौद्धिष्ठ अपना बाल, नाखून काट कर अंतिम संस्कार कराते है.
काफी संख्या में लोग मुंडन भी कराते हैं. मंगलवार को 300 पर्यटक यहां पहुंचे. अधिकांश पर्यटक अपनी पत्नी व बच्चों के साथ पहुंचे. पर्यटकों के पहुंचते ही पूरा कौलेश्वरी पहाड़ पर रौनक बढ़ गयी है. यहां पर नेपाल, भूटान, मलेशिया, तिब्बत, श्रीलंका, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, जापान आदि देशों से बौद्ध धर्म माननेवाले लोग पहुंचे. मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों ने पर्यटकों का स्वागत कर सभी तरह का सहयोग करने की बात कही. सुरक्षा से लेकर रहने, ठहरने, खाने-पीने की व्यवस्था करने की बात कही.
समिति के अध्यक्ष एसडीओ नंदकिशोर लाल ने समिति के सदस्यों को पर्यटकों के हर सुविधा पर ध्यान रखने का निर्देश दिया है. मुखिया बसंती पन्ना ने कहा कि हर वर्ष यहां करीब 15 हजार से अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं. यहां के रमणिक स्थल को अपने कैमरे में कैद कर ले जाते हैं. अपने-अपने दोस्तों व परिजनों को यहां के भौगोलिक स्थिति की जानकारी देते हैं. हर वर्ष नये-नये पर्यटक यहां आते हैं. यह स्थल हिंदू, जैन व बौद्धिष्ठ तीन धर्मों का संगम है. पर्यटक बोधगया हवाई जहाज व रेल से आते हैं. इसके बाद डोभी होते हुए हंटरगंज पहुंचते हैं. कौलेश्वरी पर्वत पैदल चल कर पहुंचते हैं.
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