चतरा : सरहुल पूजा महोत्सव धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ बुधवार को मनाया गया़. इस मौके पर शोभा यात्रा भी निकाली गयी़ कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय सरना समिति द्वारा किया गया़ पकरिया स्थित सरना टोंगरी में पाहन पुजारियों द्वारा सखुआ फूल की पूजा की गयी़ सरना आदिवासी पुजारी सीप में सखुआ फूल, अक्षत लेकर अपने-अपने गांव से मांदर, ढोल, नगाडा, घंटा, झांझ, करताल व सरना झंडा के साथ उक्त स्थल पर पहुंच़े पूजा के बाद फुलखोंसी के बाद शोभा यात्रा निकाली़ सरना धर्म के लोग नाचते-गाते, झूमते हुए शोभा यात्रा में शामिल हुए़.
ढोल-नगाड़े के साथ लोगों ने पूरे नगर का भ्रमण किया़ इस मौके पर समिति के अध्यक्ष शोमा उरांव ने बताया कि इस मौके पर प्रकृति की पूजा की जाती ह़ै़ उन्होंने कहा कि सरहुल आदिवासी जनजातियों का प्रमुख त्योहार है़ आदिवासियों के विरासत जल, जंगल, जमीन आबाद करने का अपना इतिहास रहा है़ यह संस्कृति खतरे में है और इसे बचाने की जरूरत है़ कार्यक्रम को सफल बनाने में सरयु उरांव, दिनेश किसफोटा, मनु उरांव, दिपक कि सफोटा, सुरेश उरांव समेत कई लोगों ने अहम भूमिका निभायी़
सम्मानित किये गये :समिति द्वारा अवर निबंधन पदाधिकारी राजेश एक्का, एमओ प्रेम शंकर भगत, वन क्षेत्र पदाधिकारी कैलाश सिंह, मुखिया सरिता देवी, वार्ड पार्षद भोला बिहारी के अलावा सरना धर्म के लोगों को पगड़ी बांध कर सम्मानित किया गया़.
लावालौंग. प्रखंड के परहिया हाई स्कूल के समीप सरहुल पूजा धूमधाम से मनाया गया़ इस मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया़ कार्यक्रम का मुख्य अतिथि गणोश गंझू थ़े श्री गंझू ने कहा कि जंगल का रहने वाले लोगों की पहचान संस्कृति से होती है़ झारखंड के आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व सरहुल है़ उन्होंने सरहुल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे बचाने की बात कही़ इस मौके पर छठु सिंह भोक्ता, कमाख्या सिंह समेत कई लोग उपस्थित थ़े.