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विलय के प्रस्ताव को करना होगा निरस्त
बेरमो: शुक्रवार को चार केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ दिल्ली में हुई कोल इंडिया प्रबंधन की वार्ता बेनतीजा रही. कोल इंडिया चेयरमैन सुतीर्थ भट्टाचार्य की अध्यक्षता में वार्ता हुई. प्रबंधन ने कोलकर्मियों के पेंशन मद में अंशदान का प्रस्ताव रखा, पर यूनियन प्रतिनिधियों ने विलय के प्रस्ताव को वापस लिये बिना किसी भी वार्ता से […]
बेरमो: शुक्रवार को चार केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ दिल्ली में हुई कोल इंडिया प्रबंधन की वार्ता बेनतीजा रही. कोल इंडिया चेयरमैन सुतीर्थ भट्टाचार्य की अध्यक्षता में वार्ता हुई. प्रबंधन ने कोलकर्मियों के पेंशन मद में अंशदान का प्रस्ताव रखा, पर यूनियन प्रतिनिधियों ने विलय के प्रस्ताव को वापस लिये बिना किसी भी वार्ता से इनकार किया. अब आगामी छह जून को दिल्ली में ही जेबीसीसीआइ की बैठक होगी. आठ जून को कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव आरके गुप्ता ने भी बैठक आहूत की है.
विलय व पेंशन का प्रस्ताव एक साथ नामंजूर : प्रबंधन की ओर से पेंशन मद में 14 फीसदी अंशदान की बाबत कहा गया कि सात फीसदी प्रबंधन तथा मजदूर के पूर्व के पांच प्रतिशत में दो फीसदी और बढ़ जायेगा. ट्रेड यूनियन नेताओं ने स्पष्ट कहा कि जब सीएमपीएफओ ही नहीं रहेगा तो पेंशन का क्या लाभ होगा. कहा कि संगठनों के विलय के प्रस्ताव से मजदूरों के पीएफ पर प्रश्नचिह्न लग गया है. श्रमिक नेताओं ने सीएमपीएफओ-इपीएफओ विलय को देश के कोयला श्रमिकों से जुड़ा अहम मामला बताते हुए प्रस्ताव की वापसी के बिना किसी भी समझौता से इनकार किया.
इंटक की अहमियत : वार्ता के अंत में तीन दिवसीय हड़ताल की बाबत यूनियन प्रतिनिधियों ने बगैर इंटक के किसी भी समझौते से इनकार किया. उन्होंने कहा कि हड़ताल का निर्णय लेने में इंटक भी शामिल है. सरकार व प्रबंधन को दिये गये संयुक्त ज्ञापन में इंटक का भी हस्ताक्षर है. इसलिए इस विषय पर कोई भी वार्ता इंटक के बगैर संभव नहीं.
दो िभन्न प्रस्ताव एक साथ नामंजूर
प्रबंधन की ओर से पेंशन मद में 14 फीसदी अंशदान की बाबत कहा गया कि सात फीसदी प्रबंधन तथा मजदूर के पूर्व के पांच प्रतिशत में दो फीसदी और बढ़ जायेगा. ट्रेड यूनियन नेताओं ने स्पष्ट कहा कि जब सीएमपीएफओ ही नहीं रहेगा तो पेंशन का क्या लाभ होगा. कहा कि संगठनों के विलय के प्रस्ताव से मजदूरों के पीएफ पर प्रश्नचिह्न लग गया है. श्रमिक नेताओं ने सीएमपीएफओ-इपीएफओ विलय को देश के कोयला श्रमिकों से जुड़ा अहम मामला बताते हुए प्रस्ताव की वापसी के बिना किसी भी समझौता से इनकार किया.
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