बोकारो: सेक्टर 4 जी स्थित श्रीश्री बाबा विश्वकर्मा मंदिर की खास बात यह है कि यहां हर प्रतिमा को किसी न किसी ने दान किया है. मंदिर का निर्माण विश्वकर्मा समाज के लोगों को जागरूक करने, एकजुट होने व समाज की कुरीतियों से दूर रखने के लिए किया गया है.
मंदिर कमेटी के सदस्य साने लाल मिस्त्री कहते हैं : वर्ष 1971-72 में डॉ यदुवंशी विश्वकर्मा टाटा कंपनी से रिटायर होकर बोकारो अपने पुत्र के आवास पर आये. यहां कुछ दिन बिताने के पश्चात उन्हें बोकारो में समाज के लोगों संगठित करने का ख्याल आया. समाज की स्थापना के पश्चात सामाजिक, शैक्षणिक व बौद्धिक विकास के लिए लोगों ने मंदिर बनवाने का निर्णय लिया. जमीन आवंटित कराने के लिए बीएसएल प्रबंधन को अर्जी दी गयी.
समाज का साथ बीएसएल प्लांट के ज्यादातर इंजीनियरों ने दिया और प्रबंधन से जमीन दिलाने के लिए खास अनुरोध किया. वर्ष 1992 में बीएसएल ने विश्वकर्मा समाज को मंदिर बनाने के लिए सेक्टर 4 जी में जमीन आवंटित कर दी. कुछ ही दिनों में ही समाज की ओर से मंदिर का शिलान्यास किया गया. वर्ष 1995 में श्रीश्री बाबा विश्वकर्मा मंदिर का निर्माण कार्य पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ. मंदिर अब भी निर्माणाधीन हैं. मंदिर में पूजा अर्चना का कार्यभार गिरिडीह जिले के पं मनोज पांडेय को सौंपा गया हैं.
चास निवासी ने समाज को दान में दी श्री विश्वकर्मा की प्रतिमा : इस्पात नगरी बोकारो में लोगों ने श्रीश्री बाबा विश्वकर्मा मंदिर के निर्माण कार्य के लिए अपने स्तर पर सहयोग दिया था. मंदिर में बाबा विश्वकर्मा की प्रतिमा को चास निवासी स्वर्गीय रामेश्वर शर्मा ने दान स्वरूप दिया था. मंदिर परिसर में भोले नाथ सह परिवार व संकट मोचक स्थापित हैं. इस मंदिर की सभी प्रतिमाओं को किसी न किसी ने दान में दिया है.
परिसर में पठन-पाठन का कार्य : मंदिर परिसर में मंदिर निर्माण कमेटी की ओर से जूनियर प्रेरणा स्कूल चलाया जाता है. इसमें नर्सरी से प्रेप तक के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं. स्कूल मंदिर परिसर के बेसमेंट में चलता है.
मंदिर के संस्थापक : जगन्नाथ शर्मा, ननू लाल विश्वकर्मा, सोने लाल मिस्त्री, राम बिहारी शर्मा, गुप्तेश्वर शर्मा, आरएस शर्मा, भोला प्रसाद शर्मा, रमानंद शर्मा, श्री गणोश, विश्वकर्मा व राम हरि शर्मा.