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समस्याओं से जूझ रहा है परसाबेड़ा
चास: गरगा नदी के किनारे बसा चास का परसाबेड़ा गांव आज भी कई बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है. गांव की 1500 आबादी के लिए मुख्य पथ नहीं है. बारिश के दिनों में परसाबेड़ा का संपर्क दूसरे गांवों से कट जाता है. वर्ष 2002-03 में स्थानीय विधायक तत्कालीन झारखंड सरकार के मंत्री समरेश सिंह ने […]
चास: गरगा नदी के किनारे बसा चास का परसाबेड़ा गांव आज भी कई बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है. गांव की 1500 आबादी के लिए मुख्य पथ नहीं है. बारिश के दिनों में परसाबेड़ा का संपर्क दूसरे गांवों से कट जाता है. वर्ष 2002-03 में स्थानीय विधायक तत्कालीन झारखंड सरकार के मंत्री समरेश सिंह ने परसाबेड़ा-गरगा नदी पर पुल का शिलान्यास किया था. 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी इसका निर्माण नहीं हो पाया.
आगे बिल्डर का गेट… पीछे है गरगा नदी : परसाबेड़ा गांव के आगे कई बिल्डरों ने जमीन खरीद ली है. अधिकांश बिल्डर ने चहारदीवारी का निर्माण कराया है. साथ ही गेट लगा दिया है. इस कारण परसाबेड़ा तक रास्ता नहीं है. फिलहाल यहां के लोग बिल्डर के रहमोकरम पर आना-जाना करते हैं. वहीं गांव के पीछे गरगा नदी है. बारिश के मौसम को छोड़ कर बाकी समय में लोग गरगा नदी में उतरकर कहीं भी जाते हैं. अधिक बारिश हो जाने पर ग्रामीणों को घरों में ही कैद रहना पड़ता है.
निगम और पंचायत चुनाव दोनों में किया मतदान : परसाबेडा गांव वर्ष 2014 के पहले नावाडीह पंचायत के अधीन था. चास को नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद परसाबेड़ा को नगर निगम में शामिल किया गया. इस गांव के मतदाताओं ने निगम के चुनाव में वार्ड नंबर तीन के लिए मतदान किया. वहीं वर्ष 2015 में एक बार फिर से इस गांव के मतदाताओं को नावाडीह पंचायत से जोड़ दिया गया. अभी तक इस गांव की समस्या को दूर करने का प्रयास न ही निगम ने और न ही पंचायती राज व्यवस्था के तहत किया गया. इस कारण ग्रामीण अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं. गांव के लोग वर्षों से मुख्य सड़क व गरगा नदी पर पुल निर्माण को लेकर अधिकारी से नेता तक फरियाद लेकर जाते हैं. आज तक किसी ने उनकी सुध नहीं ली.
कृषि कार्य पर निर्भर हैं ग्रामीण : गांव के लोग कृषि कार्य पर ही निर्भर हैं. अधिकांश ग्रामीण सब्जी की खेती करते हैं. गरगा नदी किनारे होने के कारण पटवन की समस्या नहीं है. लेकिन मुख्य पथ और नदी पर पुल नहीं होने के कारण सब्जियों को बाजार में नहीं ले पाते हैं. दूसरी ओर इस गांव में झारखंड सरकार की बिजली अभी तक नहीं पहुंच पायी है. इस कारण अंधेरे में रहना पड़ता है.
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