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वन मैन आर्मी एंजेला सिंह : बोकारो में रखी तीरंदाजी की नींव

बोकारो: बोकारो में तीरंदाजी की नींव अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज एंजेला सिंह ने 2010 में रखी. इसके लिए एंजेला सिंह ने प्रदेश तीरंदाजी संघ के तत्कालीन महासचिव संजीव सिंह से मुलाकात की. यह पहल काम आयी और संजीव सिंह ने प्रतियोगिता में लगातार दो बार टीम भेजने को कहा. एंजेला सिंह ने अपने दम पर यह किया. […]

बोकारो: बोकारो में तीरंदाजी की नींव अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज एंजेला सिंह ने 2010 में रखी. इसके लिए एंजेला सिंह ने प्रदेश तीरंदाजी संघ के तत्कालीन महासचिव संजीव सिंह से मुलाकात की. यह पहल काम आयी और संजीव सिंह ने प्रतियोगिता में लगातार दो बार टीम भेजने को कहा. एंजेला सिंह ने अपने दम पर यह किया. इसके बाद बीएसएल ने सीएसआर के तहत भी आर्थिक मदद देनी शुरू की. आज विश्व स्तर पर टॉप 40 में शामिल अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज एंजेला सिंह के प्रशिक्षण में प्रैक्टिस करते हैं. यह प्रशिक्षण सेक्टर-04 स्थित महिला समिति के स्वावलंबन केंद्र के मैदान में संचालित होता है.
विरासत में मिली तीरंदाजी : इंफाल की रहने वाली एंजेला सिंह बताती हैं : तीरंदाजी मेरे खून में है. पापा व बुआ जाने-माने तीरंदाज थे. एक तरह से पूरे परिवार की तीरंदाजी के क्षेत्र में अपनी पहचान थी. इसलिए कहा जा सकता है कि आंख खुलते ही तीरंदाजी के प्रति मेरी रुचि हो गयी थी. प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा इंफाल में हुई. अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर व समाजसेवी अजय सिंह के साथ 2002 में विवाह के बंधन में बंधी. उसके बाद वर्ष 2005 में बोकारो आयी. तीरंदाजी के क्षेत्र में कुछ करने की ठानी. तमाम झंझावात को झेलते हुए इच्छा शक्ति को मजबूत कर कठिन मेहनत की.
नियमित प्रैक्टिस से मिल सकती है सफलता : आज एंजेला जो कुछ भी हैं, उसमें पिता, ससुर आरके सिंह व पति का विशेष सहयोग व उत्साहवर्द्धन है. कहा : तीरंदाजी व्यक्तिगत खेल है. इसमें आप अपने बल पर मुकाम पा सकती हैं. इसमें अपने बल पर बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है. नियमित प्रैक्टिस से इसमें सफलता अर्जित की जा सकती है. कहा : तीरंदाजी के क्षेत्र में लड़कियां लड़कों के मुकाबले बेहतर कर सकती हैं. तीरंदाजी के क्षेत्र में लड़कियां अपना कॅरियर बना सकती हैं. कहा : ओलिंपिक में महिलाओं का बेहतर प्रदर्शन रहा है. इसमें गोल्ड मेडल प्राप्त हो सकता है.
राष्ट्रीय स्तर पर जौहर दिखा चुके हैं तीरंदाज
एंजेला सिंह बताती है : संसाधन की कमी के बावजूद आधा दर्जन से ज्यादा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर जौहर दिखा चुके हैं. बोकारो के नाम दर्जनों मेडल किया. खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर के संसाधन की कमी के कारण अगले स्टेज में जा नहीं पाते. संसाधन उपलब्ध हो जाने पर बोकारो भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी व मेडल देने में सक्षम हो जायेगा. बताती हैं : कंपाउंड वो, रिकर्व, टार्गेट बुश, लिंप, स्लिंगर आदि उपलब्ध होना जरूरी है. परमानेंट ग्राउंड के अभाव में प्रैक्टिस में परेशानी होती है. जरूरी संसाधन की कमी प्रैक्टिस सेशन को बाधित करती है.

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