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तीसरी बार यरवदा जेल पहुंचे संजय दत्त

पुणे : यरवदा केंद्रीय कारागार की ऊंची- ऊंची दीवारों के पीछे सन्नाटा पसरा हुआ है और यहां से गुजरने वाले लोग बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की झलक पाने को जेल के दरवाजों पर नजरें टिकाये हुए हैं जिन्हें 42 महीने की सजा के लिए यहां लाया गया है. दत्त को 1993 मुंबई श्रृंखलाबद्ध विस्फोट से […]

पुणे : यरवदा केंद्रीय कारागार की ऊंची- ऊंची दीवारों के पीछे सन्नाटा पसरा हुआ है और यहां से गुजरने वाले लोग बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की झलक पाने को जेल के दरवाजों पर नजरें टिकाये हुए हैं जिन्हें 42 महीने की सजा के लिए यहां लाया गया है.

दत्त को 1993 मुंबई श्रृंखलाबद्ध विस्फोट से जुड़े एक मामले में बची हुई सजा काटने के लिए 22 मई को तड़के इस ऐतिहासिक जेल में लाया गया जहां कभी महात्मा गांधी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कैद रहे थे.

दत्त को मुंबई की आर्थर रोड जेल से यहां लाने के बाद अब जेल अधिकारियों को अभिनेता के उस अनिवार्य शारीरिक श्रम पर फैसला करना है जो दत्त को एक कैदी होने के नाते करना होगा.

जेल के एक अधिकारी ने कहा, उन्हें सुरक्षा कारणों से एक अलग कोठरी में रखा जा रहा है. हम जेल मैनुअल के अनुसार उन्हें काम दिये जाने पर फैसला करेंगे. सूत्रों ने कहा कि कैदी संख्या 16656 का बिल्ला पहन रहे दत्त तीसरी बार यरवदा जेल में आए हैं.

दत्त खुद में सीमित हैं और उन्होंने तय दिनचर्या का पालन किया जिसमें सुबह साढे सात बजे नाश्ता, पूर्वाह्न साढे 11 बजे बजे दोपहर का भोजन और शाम साढे छह बजे रात का भोजन शामिल है. उन्होंने 16 मई को आत्मसमर्पण के बाद आर्थर रोड जेल में छह रातें बिताई थी.

अतिरिक्त डीजीपी (जेल) मीरान बोरवांकर ने कहा कि दत्त की जेल की दिनचर्या पर जल्द कोई फैसला किया जाएगा जिसमें उन्हें दिया जाने वाला काम भी शामिल होगा.एक अधिकारी ने कहा कि उनसे एक सामान्य दोषी कैदी जैसा व्यवहार होगा और उन्हें केवल वे छूट दी जाएंगी जो अदालत द्वारा उन्हें एक महीने के लिए दी गई हैं.दत्त पिछली बार जब यरवदा जेल में थे तो उन्हें जेल में कुर्सियां बुनने का काम दिया गया था. इस जेल में अच्छी मात्रा में लकड़ी का फर्नीचर तैयार होता है जो बाहर बेचा जाता है.एक निर्देशक की निगरानी में टोकरी बनाने वाले दत्त को साढे बारह रुपये प्रति दिन के हिसाब से भुगतान किया गया था. जेल में इस दर से अकुशल श्रमिक को वेतन का भुगतान किया जाता है.मुंबई विस्फोट मामले से जुड़े अवैध हथियार रखने के एक मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा पांच साल की सजा की पुष्टि होने के बाद मुन्नाभाई को बाकी की सजा यहां काटनी है. दत्त 2007 में दो बार इस जेल में बंद हो चुके हैं.दत्त की कोठरी बैरक संख्या तीन में स्थित है और दत्त के मित्र तथा सह दोषी यूसुफ नलवाला को भी इसी बैरक में एक अन्य कोठरी में रखा गया है.

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