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टैक्स के भार से कैशलेस को झटका

बोकारो: नोटबंदी के बाद सरकार ने कैशलेस समाज की परिकल्पना की. दुकानदारों ने इसके प्रति रुचि दिखायी. कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए कई दुकानदारों ने पीओएस व अन्य माध्यम से व्यवसाय की वैकल्पिक राह चुनी गयी. 31 दिसंबर तक ऐसे माध्यम में मिल रही टैक्स में छूट के कारण दुकानदारों ने मशीन का खूब इस्तेमाल किया. […]

बोकारो: नोटबंदी के बाद सरकार ने कैशलेस समाज की परिकल्पना की. दुकानदारों ने इसके प्रति रुचि दिखायी. कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए कई दुकानदारों ने पीओएस व अन्य माध्यम से व्यवसाय की वैकल्पिक राह चुनी गयी. 31 दिसंबर तक ऐसे माध्यम में मिल रही टैक्स में छूट के कारण दुकानदारों ने मशीन का खूब इस्तेमाल किया. कैशलेस ट्रांजेक्शन में 55 से 60 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ. लेकिन अब टैक्स में छूट खत्म हुई तो बचत पर नहीं, बल्कि हर दिन के ट्रांजेक्शन पर टैक्स लग रहा है.

मतलब एक दिन में मशीन से 50 हजार के ट्रांजेक्शन होने पर 500 रुपया बैंक को टैक्स के रूप में देना होता है. दुकानदारों की मानें तो कंपिटीशन के दौर में बहुत कम मार्जिन में व्यवसाय होता है. ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए बहुत कम फायदा कमाया जाता है. हर दिन टैक्स के रूप में बैंक को पैसा देने से व्यवसाय नुकसान का सौदा बन रहा है.

…तो ग्राहकों को होगा नुकसान : बोकारो में नोटबंदी के बाद 70 प्रतिशत ग्राहक प्लास्टिक मनी (डेबिट व क्रेडिट कार्ड) का इस्तेमाल खरीदारी के लिए कर रहे हैं. टैक्स फ्री होने के कारण दुकानदार भी ग्राहकों से प्लास्टिक मनी की मांग ही करते थे, लेकिन अब दुकानदार नकद मांग रहे हैं. दुकानदारों की मानें तो उत्पाद पर बहुत कम फायदा कमाने की कोशिश होती है. इस कारण ग्राहकों पर बोझ कम पड़ता है. टैक्स लगने के बाद मार्जिन बढ़ाने की विवशता आ गयी है. इससे उत्पादों के दाम में इजाफा होगा. महंगाई बढ़ेगी. नकद में दाम कम व प्लास्टिक मनी में उत्पाद की कीमत ज्यादा होने से ग्राहकों में भी ऊहापोह की स्थिति बनेगी.

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