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शिक्षा विभाग: जिला के 69 हजार स्टूडेंट्स हैं ट्रेसलेस
बोकारो: सरकार शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इसके बाद भी बोकारो जिला के 69 हजार 20 विद्यार्थी स्कूल नहीं (ड्रॉप आउट) जाते हैं. इन छात्रों का स्कूलों में नामांकन (कक्षा एक से आठ) अप्रैल 2016 में हो चुका है. आठ माह बाद भी शिक्षा विभाग इनके स्कूल नहीं आने का […]
बोकारो: सरकार शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इसके बाद भी बोकारो जिला के 69 हजार 20 विद्यार्थी स्कूल नहीं (ड्रॉप आउट) जाते हैं. इन छात्रों का स्कूलों में नामांकन (कक्षा एक से आठ) अप्रैल 2016 में हो चुका है. आठ माह बाद भी शिक्षा विभाग इनके स्कूल नहीं आने का कारण नहीं जान पाया है. ड्रॉप आउट बच्चों के मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा व शिक्षा सचिव अाराधना पटनायक ने कई बार शिक्षा विभाग को हिदायत भी दी है.इसके बाद भी ड्राप आउट बच्चों को स्कूल लाने में शिक्षा विभाग के अधिकारी की दिलचस्पी भी नहीं दिखती है.
एसएसए का बजट करोड़ों का : जिला में ड्राप आउट बच्चों के बीच विशेष अभियान चलाने के लिए राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए सर्व शिक्षा अभियान को तीन करोड़ 90 लाख 51 हजार का बजट मिला था. वर्ष 2016-17 में सर्व शिक्षा अभियान को चार करोड़ 10 लाख की राशि आवंटित की गयी है. सर्व शिक्षा अभियान बोकारो को इस वित्तीय वर्ष में 10,067 ड्रॉप आउट बच्चों को चिह्नित कर विशेष अभियान चलाने की योजना है, जबकि शेष छात्रों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. अब ऐसे में कैसे ड्रॉप आउट बच्चों को विद्यालय लाया जा सकता है.
पिछले वित्तीय वर्ष में 77,553 छात्र नहीं आये स्कूल
प्रथम वर्ग से अष्टम वर्ग तक कुल एक लाख 97 हजार 270 विद्यार्थी नामांकित हैं. इसमें सिर्फ एक लाख 28 हजार 250 विद्यार्थी ही कक्षा में नियमित हैं. शेष 69 हजार 20 विद्यार्थी विद्यालय नहीं आते. शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत वर्ग एक से आठ के विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा अनिवार्य है. इस अधिनियम की कागजी खानापूर्ति हो रही है. वर्तमान समय में विभाग अधिनियम के उद्देश्य को पूरा करने में विभाग विफल है. पिछले वित्तीय वर्ष 2015-16 में कुल दो लाख 31 हजार 565 बच्चे नामांकित थे. इनमें एक लाख 54 हजार 12 बच्चे नियमित आ रहे थे, जबकि 77 हजार 553 कभी विद्यालय आये ही नहीं.
जिम्मेवारी विप्रस व पारा शिक्षकों की
विद्यालय में छात्रों को शत-प्रतिशत उपस्थिति की जिम्मेवारी विद्यालय प्रबंधन समिति की है. समिति को बाल पंजी भी शिक्षा विभाग की ओर से दी गयी है. अधिकांश विद्यालय प्रबंधन समिति अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल साबित हो रहे हैं. इसके अलावा पारा शिक्षकों को भी ड्रॉप आउट बच्चों को विद्यालय लाने की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. पारा शिक्षक के प्रयास के बाद भी इसमें सफलता नहीं मिल रही.
ड्रॉप आउट से उदासीन
जिला में 69 हजार 20 छात्र शैक्षणिक माहौल से दूर हैं. इन्हें विद्यालय लाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है, जबकि सर्व शिक्षा अभियान की ओर से विशेष अभियान चलाने का निर्देश भारत सरकार की ओर से है. सर्व शिक्षा अभियान की ओर से प्रखंड स्तर पर अभियान तो चलाया जा रहा है, लेकिन महज सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जाती है. सार्थक परिणाम नहीं आते हैं. जिला में शैक्षणिक माहौल नहीं बन पा रहा. भारत सरकार विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए मध्याह्न भोजन सहित कई योजनाएं चलायी जा रही है. फिर भी कारगर साबित नहीं हो पा रही है.
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सभी नामांकित छात्रों की शत-प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता के अभाव में सफलता नहीं मिल रही है. सभी नामांकित छात्रों को विद्यालय लाने का प्रयास किया जा रहा है. प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को इसके लिए निर्देश दिया गया है.
वीणा कुमारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, बोकारो.
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