बोकारो: शॉपिंग मॉल हो, कॉलेज कैंपस हो या चौक-चौराहा. हर जगह युवाओं को इयरफोन लगाये आसानी से देखा जा सकता है़ कई बार ऐसे युवाओं के ग्रुप को सड़क पर चलते हुए भी आसानी से देख सकते हैं. हालांकि मनोरंजन के लिए इस्तेमाल में लाया जानेवाला यह इयरफोन आपकी सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे कम करने लगता है़ लगातार कान में लगाये रखने की वजह से यह कई तरह की दूसरी समस्याओं का कारण भी बन जाता है़.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में 1.1 अरब युवा व किशोर इयरफोन लगाने और तेज आवाज में म्यूजिक सुनने की वजह से बहरेपन के शिकार हो रहे हैं. शहर के नाक,कान व गला रोग (इएनटी) विशेषज्ञों की मानें, तो महीने में पांच से सात वैसे युवा व किशोर उनके पास इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जिन्हें इयरफोर की वजह से कोई ने कोई परेशानी हुई है़.
कई परेशानी की एक वजह
इएनटी एक्सपर्ट डॉ हर्ष कुमार बताते हैं कि हाल के दिनों में किशोर व युवाओं में इयरफोन लगाने का चलन काफी बढ़ा है़ लगातार इयरफोन लगा कर गाना सुनना व घंटों बातें करना उनकी आदत बन गयी है़ ऐसे में कानों से संबंधित कई तरह की परेशानी भी उन्हें होती है़ वह कहते हैं कि लगातार लंबे समय तक इयरफोन लगाकर गाना सुनने व बात करने से पहले कान के परदे और फिर बाद में कान के नस में समस्या उत्पन्न हो जाती है. अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रही, तो इससे सुनने की क्षमता कम हो सकती है. वह कहते हैं कि इसकी वजह से कई बार कान के भीतर घाव भी हो जाता है़ इसके अतिरिक्त कई और भी परेशानियां होती हैं, जिनकी एकमात्र वजह इयरफोन ही है़.
ब्रेक लेकर करें इस्तेमाल
वैसे तो इयरफोन से होनेवाली समस्या का समाधान अवेयरनेस (जागरूकता) मात्र ही है, लेकिन कुछ ऐसे प्रोफेशन भी हैं, जहां आप इससे बच नहीं सकते हैं. ऐसे में एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर आप इससे बच नहीं सकते हैं, तो इयरफोन का इस्तेमाल कम से कम करने की आदत डालें. अगर आपको घंटों इयरफोन लगाकर काम करना है, तो हर एक घंटे पर कम से कम पांच मिनट का ब्रेक लें. इसके अतिरिक्त अच्छी क्वालिटी के ही हेडफोन या इयरफोन का प्रयोग करें. इयरबड की बजाय हेडफोन का प्रयोग करें, क्योंकि यह बाहरी कान में लगे होते हैं.
कहते हैं सर्वे
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग ऑडियोलॉजी डिपार्टमेंट द्वारा देश भर के कॉलेज कैंपस में किये गये एक अध्ययन में पाया गया कि 66 प्रतिशत युवा आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए संगीत सुनते हैं. आठ प्रतिशत युवाओं में सुनने संबंधी दिक्कत देखी गयी है़ सात प्रतिशत युवाओं को कान में लगातार घंटी बजने जैसी आवाज सुनायी देती थी़ 4.5 प्रतिशत युवाओं को ऐसा लगता था कि उनका कान बंद हो गया है़ 5.6 प्रतिशत युवाओं को कान में भारीपन की शिकायत थी़.
सात प्रतिशत को कान में खारिश की परेशानी और 13.4 प्रतिशत युवाओं ने माना कि गाना सुनने के बाद उन्हें सिर में दर्द होता है़ वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 12 से 35 आयु वर्ग के लगभग 50 प्रतिशत युवा अपने पर्सनल ऑडियो सिस्टम से असुरक्षित स्तर पर गाने सुनते हैं.
65 डेसीबल ही है क्षमता
इएनटी एक्सपर्ट बताते हैं कि मानव कान के लिए साउंड बरदाश्त करने की क्षमता निर्धारित है़ मानव कान आमतौर पर 65 डेसीबल की ध्वनि को ही सहन कर सकता है, लेकिन इयरफोन पर अगर 90 डेसीबल की ध्वनि अगर 40 घंटे से ज्यादा सुनी जाये, तो कान की नसें पूरी तरह डेड हो जाती है़ं डॉक्टरों के अनुसार, इनके ज्यादा उपयोग करने से कानों में अनेक प्रकार की समस्या हो सकती है़