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40 साल के आंदोलन में 50 का नेतृत्व

बोकारो: नियोजन व मुआवजे की मांग को लेकर पिछले चार दशक से लगातार विस्थापितों का आंदोलन हो रहा है. असर शायद ही कुछ हुआ हो. नाकामी का ठीकरा कभी आंदोलन पर तो कभी नेतृत्व पर फोड़ा जाता रहा है. अब-तक आंदोलनों ने 50 से भी ज्यादा नेतृत्वकर्ता देखे. आंदोलन की आग पर नेताओं की दाल […]

बोकारो: नियोजन व मुआवजे की मांग को लेकर पिछले चार दशक से लगातार विस्थापितों का आंदोलन हो रहा है. असर शायद ही कुछ हुआ हो. नाकामी का ठीकरा कभी आंदोलन पर तो कभी नेतृत्व पर फोड़ा जाता रहा है. अब-तक आंदोलनों ने 50 से भी ज्यादा नेतृत्वकर्ता देखे. आंदोलन की आग पर नेताओं की दाल गली हो, पर विस्थापितों को कुछ नहीं मिल पाया.

सालों से जारी है डीसू का धरना : सालों से नया मोड़ के निकट डीसु का धरना जारी है. प्रत्यक्षत: तीन पीढ़ी धरना से प्रभावित हुई. इस पर बहस तक नहीं होती कि मांग जायज भी थी, या नहीं. हर बार आंदोलन इस बात पर अटक जाता है कि बीएसएल में संयंत्र की स्थापना से लेकर अब तक 16 हजार विस्थापितों को नियोजन दिया जा चुका है. विस्थापित संगठनों की मांग 24 हजार विस्थापितों के नियोजन की है. फिलहाल झामुमो के युवा नेता मंटू यादव एक बार फिर से आंदोलन की तैयारी और विस्थापित मुद्दे को लेकर चर्चा में हैं.

लोग आते गये कारवां बनता गया : यह आंदोलन वर्ष 1960-64 में मुआवजा को लेकर माराफारी स्टेट के ठाकुर सरजू प्रसाद सिंह के नेतृत्व में आरंभ हुआ. इनके साथ अधिवक्ता दिनेश कुमार दुबे भी जुड़े. बिनोद बिहारी महतो ने भी मुआवजा के लिए संघर्ष किया. 1968 में राउतडीह (रातडीह) गांव हटाने के दौरान संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बैनर तले मुआवजा व नियोजन को ले इमामुल हई खान के नेतृत्व में आंदोलन शुरू हुआ. 1969 में अधिवक्ता कुमार दुबे ने विस्थापित लोहा इस्पात कारखाना संघ गठित कर आंदोलन शुरू किया.

1968 में नया संगठन विस्थापित कल्याण समिति बनी. इनके साथ पारस तिवारी, एसके राय, अकलू राम महतो, विश्वनाथ प्रसाद सिंह व कृष्णा प्रसाद सिंह ने संयुक्त रूप से आंदोलन किया. 1975-76 में समरेश सिंह ने विस्थापित संग्राम समिति नामक संगठन बनाकर आंदोलन शुरू किया. 1974 में अकलू राम महतो ने किसान मजदूर संघ बनाया. 1986 में गुलाब चंद्र ठाकुर ने विस्थापित नौजवान संघर्ष मोरचा बनाया. इसमें योगेंद्र महतो उर्फ बाटुल, जावेद हुसैन, इरशाद अंसारी, एसएन राय, साधु शरण गोप, कमलेश ठाकुर, हसनुल अंसारी शामिल हुए. 1988 में फिर से गुलाब चंद्र ठाकुर ने संघर्ष मोरचा नामक संगठन बनाया. 1990 में साधु शरण गोप ने विस्थापित विकास समिति बनाकर आंदोलन किया.

1994-95 में कमलेश ठाकुर, बैजनाथ बेसरा आदि लोगों ने विस्थापित संयुक्त मोरचा बनाया. 2004 में सुधीर कुमार हरि, रघुनाथ महतो व परमेश्वर महतो ने संयुक्त रूप से विस्थापित स्लैग कंपार्टमेंट समिति बनायी. 2006 में फूलचंद्र महतो ने झारखंड बेरोजगार विकास मंच (एन), 2006 में मो एहसान जानी ने झारखंड विस्थापित मुक्ति मोरचा, लोकतांत्रिक बेरोजगार मोरचा के निदेश झा, कांग्रेस के युवा नेता देव शर्मा आदि लगभग 50 संगठन इस कड़ी में जुड़े. फिलहाल विधायक ददई दुबे, विधायक उमाकांत रजक और विधायक समरेश सिंह विस्थापित आंदोलन की बात कर रहे हैं.

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