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गुजरात में पिंड्राजोरा के बंधक मजदूर हुए रिहा

सभी यवक बोकारो के लिए रवाना परिजनों ने जताया डीसी का आभार धनबाद का टाइल्स व्यवसायी रियाज ग्रामीणों को ले गया था गुजरात बोकारो : पिंड्राजोरा थानांतर्गत बेलडीह व केशरीडीह गांव के गुजरात में बंधक बने छह मजदूरों को रिहा कर दिया गया है. सभी अपने घर के लिए रवाना हो गये हैं. बंधक बने […]

सभी यवक बोकारो के लिए रवाना

परिजनों ने जताया डीसी का आभार
धनबाद का टाइल्स व्यवसायी रियाज ग्रामीणों को ले गया था गुजरात
बोकारो : पिंड्राजोरा थानांतर्गत बेलडीह व केशरीडीह गांव के गुजरात में बंधक बने छह मजदूरों को रिहा कर दिया गया है. सभी अपने घर के लिए रवाना हो गये हैं. बंधक बने मजदूर अजय ने बताया कि शनिवार को अचानक 11 बजे सभी को सभी बकाया पैसा देकर छोड़ दिया गया. बोकारो डीसी राय महिमापत रे के मोरबी के डीएम एसएम पटेल व डीडीसी समिपति राजेश से शुक्रवार को संपर्क करने के बाद स्थिति तेजी से बदली और रिहाई की औपचारिकता पूरी हुई. पिंड्राजोरा के इन ग्रामीणों को धनबाद का एक टाइल्स व्यवसायी गुजरात ले गया था.
परिजनों ने की थी डीसी से मुलाकात : पिंड्राजोरा थाना क्षेत्र के बेलडीह के बंधक बनाये गये मिथुन हेंब्रम, सुनील सोरेन, अजय सोरेन, गंदेश्वर मांझी व सनातन मारंडी तथा केशरीडीह के कर्ण हांसदा के परिजनों ने गुरुवार को उपायुक्त श्री रे से मिलकर गुजरात के मोरबी स्थित स्काई टच के मालिक द्वारा बंधक बनाये जाने की जानकारी देते हुए रिहाई के लिए कार्रवाई की मांग की थी.
कॉल आने के बाद किया गया रिहा : संवाददाता से मोबाइल पर बातचीत में बंधक बने सुनील सोरेन ने बताया : शनिवार की सुबह किसी ने कॉल किया कि सभी मजदूरों को जल्द से छोड़ दो मामला बढ़ गया है. उसके बाद सभी मजदूरों को एलजीएफ नामक कंपनी में ले जाया गया. वहीं उन्हें पैसा देकर जाने को कहा गया. स्थानीय प्रशासन की छानबीन के बाद उन्हें छोड़ा गया. कंपनी को इस बात की भनक लग गयी थी कि बंधक बने छह मजदूरों के संबंध में छानबीन की जा रही है.
धनबाद का रियाज ले गया था गुजरात : सुनील ने बताया कि धनबाद शहर में टाइल्स की दुकान चलाने वाला रियाज नामक व्यक्ति उनलोगों को उक्त कंपनी में ले गया था. यहां ठेकेदार उनसे काम करा रहा था, लेकिन दिसंबर, जनवरी का पैसा नहीं दे रहा था व कंपनी भी नहीं छोड़ने दे रहा था.
पैसा रहने पर भाग सकते थे मजदूर
गुजरात के मोरबी स्थित कंपनी में पैसा नहीं रहने के कारण बंधक बने रहने को विवश थे. पैसा रहने पर वहां से भाग सकते थे. सुनील ने बताया : कंपनी बंद रहने के दिन उन्हें बाहर निकलने दिया जाता था, लेकिन पैसा नहीं रहने के कारण हम भाग भी नहीं पा रहे थे. बहुत मांगने पर 100-50 रुपये मिलते थे. दो टाइम खाना मिलता था. दूसरी कंपनी में वेतन मिलने के बाद सबसे पहले घर वालों को रिहाई की जानकारी दी. घरवालों ने वापस घर आने को कहा. सुनील ने बताया : सबसे पहले जीजी जी को सूचना दी कि सभी लोग निकल गये हैं.

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