22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ताकि न गुनाह करे कोई और न कंपेंसेशन देना पड़े : एआर दबे

बोकारो : समाज में कानून का राज इस कदर होना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति गुनाह करने के बारे में सोच भी नहीं सके. ऐसी व्यवस्था लागू करने के लिए पुलिस को ईमानदारीपूर्वक काम करना होगा. पुलिस को ऐसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए कि गुनाह ही ना हो और किसी को कंपेंसेशन भी नहीं देना […]

बोकारो : समाज में कानून का राज इस कदर होना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति गुनाह करने के बारे में सोच भी नहीं सके. ऐसी व्यवस्था लागू करने के लिए पुलिस को ईमानदारीपूर्वक काम करना होगा. पुलिस को ऐसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए कि गुनाह ही ना हो और किसी को कंपेंसेशन भी नहीं देना पड़े. यह कहना है सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति सह नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष अनिल आर दवे का. श्री दवेे बतौर मुख्य अतिथि रविवार को कैंप दो स्थित स्थानीय व्यवहार न्यायालय कैंपस में विक्टिम कंपेंसेशन वर्कशॉप को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजक जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बोकारो है.

…ताकि न गुनाह करे कोई और
झारखंड से शुरुआत : मौके पर न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति दवे ने कहा : किसी भी पीड़ित पक्ष को मुआवजा देकर उसका दर्द कम नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसे आर्थिक रूप से कुछ मदद जरूर पहुंचायी जा सकती है. पीड़ित पक्ष को सरकारी मुआवजा दिलाने का कानून देश में काफी समय से लागू है, पर उसका पालन नहीं किया जा रहा है. देश में झारखंड पहला राज्य है जहां इस कानून के तहत आपराधिक घटनाओं के पीड़ित को आर्थिक सहायता देने की शुरुआत की गयी है.
राष्ट्रभाषा के महत्व पर डाला प्रकाश : श्री दवे ने अपने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रभाषा हिंदी की काफी प्रशंसा की. मंच पर आते ही श्री दवे ने कहा कि हम किसी पराई चीज का इस्तेमाल नहीं करते हैं. अंगरेजी एक पराई और दूसरों से उधार ली गयी भाषा है. इस भाषा का हम जितना कम इस्तेमाल करें वह अच्छा है. राष्ट्रभाषा हिंदी एक महान भाषा है. इस कारण मैं अधिक से अधिक हिंदी भाषा का इस्तेमाल करता हूं.
श्री दवे ने अपने संबोधन में पूरी तरह से हिंदी भाषा का इस्तेमाल किया. इससे पूर्व झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह व अन्य कई न्यायाधीशों ने केवल अंगरेजी भाषा का इस्तेमाल कर लोगों को संबोधित किया. श्री दवे के राष्ट्रभाषा के प्रति प्रेम को देख कर पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़हाट से गूंज उठा. कार्यक्रम का उद्घाटन श्री दवे ने किया. इससे पूर्व भी श्री दवे ने अपने पांव से जूता उतार दिया था. श्री दवे को देख कर कुछ अन्य जस्टिस ने भी दीप प्रज्वलन से पूर्व जूता खोल दिया था.
मीडिया से सहयोग की अपील : झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति डीएन पटेल ने कहा : पीड़िता को अधिकार दिलाना इस वर्कशॉप का उद्देश्य है. वर्षों से इस कानून को लागू नहीं किया जा सका था. किसी भी घटना में पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने में पांच से दस वर्ष तक का भी समय लग जाता है. लंबे समय तक चली न्यायिक प्रक्रिया के दौरान पीड़ित परिवार शहर छोड़ कर दूसरे स्थान भी जा सकता है. नतीजतन घटना के कुछ दिनों बाद ही पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिलाने का प्रयास करना चाहिए. इसके लिए एपीपी, प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का भी सहयोग अपेक्षित है.
प्रचार-प्रसार जरूरी : प्रचार-प्रसार के बाद ही लोग इस कानून के प्रति जागरूक हो सकते हैं. श्री पटेल ने कहा कि अगर किसी जघन्य मामले में कोई व्यक्ति मुजरिम घोषित होकर सजा काटता है तो इस दौरान जेल में उसके श्रम के पारिश्रमिक की एक तिहाई राशि पीड़ित पक्ष को दी जानी चाहिए. कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति विनोद शरण ने कहा : केवल मुजरिम को सजा दिलाने तक ही हमारी न्याय प्रक्रिया सीमित हो गयी थी,
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. न्याय दिलाने के साथ-साथ पीड़िता को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा तय मुआवजा भी अब कोर्ट दिलायेगी.
कार्यक्रम में ये थे उपस्थित : कार्यक्रम को प्रधान जिला न्यायाधीश संजय प्रसाद ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव मनीष रंजन ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डीसी राय महिमापत रे ने किया. इस दौरान धनबाद के प्रधान जिला न्यायाधीश अंबुज नाथ, कोयला क्षेत्र के बोकारो के डीआइजी शंभु ठाकुर, एसपी वाइएस रमेश, बोकारो व तेनुघाट न्यायालय से जुड़े सभी न्यायाधीश व दंडाधिकारी, न्यायालय के पीपी, एपीपी व अधिवक्तागण मौजदू थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें