इतना ही नहीं हॉस्टल में रहने वाले बच्चे विभिन्न क्लास में टॉप पॉजीशन पर कब्जा भी कर रहे हैं. मतलब, गुरुकुल पंरपरा का निर्वहन कर स्टूडेंट्स टॉपर बन रहे हैं.
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गुरुकुल परंपरा का निर्वाह कर स्टूडेंट्स बन रहे टॉपर
बोकारो: घर में मां का प्यार, भाई-बहन के साथ छोटी-छोटी बात पर झगड़ा, पिता से अतिरिक्त जिम्मेदारी बोध… ऐसे कई कारणों से बच्चों की पढ़ाई पर असर होता है. ऐसे ही असर को खत्म करने के लिए प्राचीन काल में गुरुकुल की व्यवस्था की गयी थी. वर्तमान में हॉस्टल गुरुकुल की परंपरा निभा रहा है. […]
बोकारो: घर में मां का प्यार, भाई-बहन के साथ छोटी-छोटी बात पर झगड़ा, पिता से अतिरिक्त जिम्मेदारी बोध… ऐसे कई कारणों से बच्चों की पढ़ाई पर असर होता है. ऐसे ही असर को खत्म करने के लिए प्राचीन काल में गुरुकुल की व्यवस्था की गयी थी. वर्तमान में हॉस्टल गुरुकुल की परंपरा निभा रहा है. स्टूडेंट्स घर-परिवार से दूर हॉस्टल में जीवन संवार रहे हैं.
बोकारो में सिर्फ सेक्टर-03 स्थित बोकारो पब्लिक स्कूल में ही इन कैंपस हॉस्टल (केवल लड़कों के लिए) की व्यवस्था है. हॉस्टल में 200 से अधिक बच्चे घर से दूर रह कर सफलता को पंख दे रहे हैं. यहां बोकारो व आस पास सहित पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडि़शा, असम व झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों के विद्यार्थी रहते हैं. गुरुवार को प्रभात खबर ने हॉस्टल में रहने वाले क्लास व स्कूल टॉपरों से बातचीत की. क्लास 02 से लेकर 11वीं के विद्यार्थी ने सफलता का मंत्र बताया. प्रस्तुत है विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया.
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