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पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सीमा 35 % हो
झारखंड में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर राजभवन पर धरना आज पूर्व मंत्री लालचंद महतो ने सीएम को लिखा पत्र बेरमो : झारखंड में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण सीमा 14 फीसदी से बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन तेज होगा. इस बार झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोरचा ने […]
झारखंड में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर राजभवन पर धरना आज
पूर्व मंत्री लालचंद महतो ने सीएम को लिखा पत्र
बेरमो : झारखंड में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण सीमा 14 फीसदी से बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन तेज होगा. इस बार झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोरचा ने ‘करो या मरो’ की तर्ज पर आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने का फैसला किया है. मोरचा के बैनर तले 29 जून को पूर्वाह्न् 11 बजे से राजभवन के सामने धरना दिया जायेगा और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जायेगा.
यह जानकारी देते हुए भाजपा के वरीय नेता व मोरचा के झारखंड प्रदेश के संरक्षक लालचंद महतो ने बताया कि ‘धरना कार्यक्रम के माध्यम से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण सीमा 14 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी करने की मांग के साथ-साथ झारखंड सरकार द्वारा सरकारी नौकरियों और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में पिछड़ी जातियों के आरक्षण में कटौती के खिलाफ जनता को जागृत किया जायेगा. आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर श्री महतो ने झारखंड के मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है.
बैदकारो स्थित अपने आवास पर प्रभात खबर से बातचीत में श्री महतो ने उन्होंने बताया : पड़ोसी राज्य बिहार में फिलहाल पिछड़े वर्गो को 35 फीसदी आरक्षण दिया जाता है. झारखंड में पिछड़े वर्गो की आबादी 56 फीसदी, अनुसूचित जनजाति की आबादी 26 फीसदी व अनुसूचित जाति की आबादी 10 फीसदी है. वर्तमान में इन दोनों समुदायों का क्रमश: 26 फीसदी व 10 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है.
न्यायालय में मामला
श्री महतो ने बताया कि वर्ष 2001 में झारखंड में आरक्षण की सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 73 फीसदी किया गया था, लेकिन कुछ लोग इस मामले को माननीय झारखंड उच्च न्यायालय में ले गये. उच्च न्यायालय ने सुनवाई में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में तमिलनाडु का आरक्षण से संबंधित मामला विचाराधीन है.
इसलिए न्यायालय ने मामले के निष्पादन तक 50 फीसदी आरक्षण की सीमा बनाये रखने का सुझाव दिया. साथ ही यह भी कहा : 23 फीसदी आरक्षण को तदर्थ नियुक्ति किया जाये. तमिलनाडु आरक्षण संबंधी माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दायर एसएलपी नंबर 13526/1993 में दिनांक 06 जुलाई 2011 को फैसला दिया. इसमें कहा कि यह याचिका विचार करने योग्य नहीं है. क्योंकि इससे पूर्व एक अन्य रिट याचिका सिविल नंबर 259/1994 जो एसवी जोशी व अन्य बनाम कर्नाटक राज्य व अन्य के मामले में फैसला आ चुका था.
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि ‘राज्य सरकारें आरक्षण की सीमा को बढ़ा सकती है, लेकिन यह परिणात्मक आंकड़े पर आधारित होना चाहिए. विशेष परिस्थिति में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी को बढ़ाया जा सकता है.’ श्री महतो ने कहा : झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 27 फीसदी करने की अनुशंसा की है. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछड़े वर्गो की सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति काफी खराब है. इसलिए इस आरक्षण की सीमा को बढ़ाया जा सकता है.
उन्होंने कहा : पिछड़े वर्ग संघर्ष मोरचा का मानना है कि राज्य में पिछड़ी जातियों की आबादी लगभग 56 फीसदी है. इसलिए इनकी आबादी को ध्यान में रखते हुए पिछड़े वर्गो की आरक्षण की सीमा 14 फीसदी से 35 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है. श्री महतो ने इस आशय का पत्र राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास को प्रेषित करते हुए उपरोक्त तथ्यों पर विचार करते हुए झारखंड में पिछड़े वर्गो की आरक्षण सीमा 14 फीसदी से बढाकर 35 फीसदी करने की मांग की है.
ये रहेंगे मौजूद
श्री महतो ने बताया कि 29 जून को पूर्वाह्न् 11 बजे से राजभवन के सामने आयोजित धरना कार्यक्रम में उच्च न्यायालय के वकील सरधू महतो, उपेंद्र नारायण सिंह, विजय साहू, प्रो रिजवान अली अंसारी, प्रमोद कुमार चौधरी, मुनेश्वर सिन्हा, सत्यानारायण चौधरी, कार्तिक महतो, भजोहरि महतो, राजा कर्मकार, उत्तम साहू, कौशिक महतो, पूरन महतो, नवल महतो, बसंत कुमार, अब्दुल खालिक, मदन प्रसाद, एसके प्रसाद आदि शामिल होंगे.
मंत्री रहते किया था फैसले का विरोध
बतौर झारखंड के ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो ने झारखंड सरकार द्वारा पिछड़े वर्गो की आरक्षण सीमा घटाने का पुरजोर विरोध किया था. उन्होंने इसके लिए कैबिनेट की बैठक का बहिष्कार भी किया था. साथ ही वर्ष 2006 में बहुजन सदान मोरचा का गठन कर श्री महतो ने पिछड़े वर्गो के आरक्षण को बढ़ाने की मांग को लेकर पूरे राज्य में जन-जागरण रथ लेकर भ्रमण किया था. वह कहते हैं कि इस बार आर-पार की लड़ाई होगी.
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