बोकारो: दुग्दा के कोल व्यवसायी भरत मिश्र (50 वर्ष) के अपहरण व हत्या के मामले में स्थानीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी ने भाजपा नेता जितेंद्र महतो, उनका छोटा भाई तुलसी महतो व साला ईश्वर महतो को आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनायी. मुजरिम गांधी नगर थाना क्षेत्र के ग्राम बैदकारो के रहने वाले हैं. न्यायालय में यह मामला दुग्दा थाना कांड संख्या 21/02 व सेशन ट्रायल कांड संख्या 275/12 के तहत चल रहा था. न्यायाधीश ने भादवि की विभिन्न धाराओं के तहत 10-10 हजार रुपये जुर्माना व अन्य सजा भी दी है.
जितेंद्र महतो को केस के विचारण के दौरान भादवि की धारा 174 ए (फरार रहने) में भी तीन वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी गयी है जेपी सीमेंट कंपनी में कोयला सप्लाइ के लिए दोनों के बीच अदावत थी. एकाधिकार खत्म होता देख जितेंद्र ने अन्य आरोपियों के सहयोग से भरत मिश्र का अपहरण किया. फिर लाश को ठिकाने लगा दिया. बाद में मामला हत्या में बदल गया. मामला 14 अप्रैल 12 का है.
इन धाराओं में मिली सजा
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश गौतम कुमार चौधरी ने तीनों मुजरिमों को भादवि की धारा 302 (हत्या), 364 (अपहरण) व 120 बी (हत्या की साजिश रचने) में आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी है. भादवि की धारा 201 (साक्ष्य छुपाने) में सात वर्ष सश्रम कारावास की सजा दी गयी है. सभी अलग-अलग धाराओं में 10-10 हजार रुपये जुर्माने की भी सजा दी गयी है. अलग-अलग धाराओं में दी गयी जुर्माने की राशि जमा नहीं करने तीन माह साधारण कारावास की सजा होगी. जितेंद्र महतो को केस के विचारण के दौरान फरार रहने के कारण भादवि की धारा 174 ए में भी तीन वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनायी गयी है.
झूठा गवाही के कारण केस चलाने का आदेश
कोल व्यवसायी भरत मिश्र हत्याकांड के गवाह निखिल कुमार ने अदालत में झूठी गवाही दी थी. इस कारण प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने निखिल पर सीआरपीसी की धारा 340 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश जारी किया है.
उम्मीद थी फांसी की : परिजन
भरत मिश्र के छोटे बेटे रोहित मिश्र ने प्रभात खबर से कहा कि जितेंद्र महतो और अन्य सहयोगियों को उम्रकैद नहीं बल्कि फांसी की सजा होनी चाहिए थी. कहा : मेरे पिता के जाने के बाद मेरे परिवार को संभालने वाला कोई नहीं था. हमें डराया-धमकाया जाता था. हमें पूरी उम्मीद थी कि हत्यारों को फांसी ही मिलेगी. हमारे परिवार को कानून पर पूरा भरोसा है.