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एंड्रॉयड मोबाइल से कंट्रोल होगा हैलिमो!

अविष्कार : बीआइवी-8 सी के 10 स्टूडेंट्स ने बनाया मोबाइल से चलने वाला हेलीकॉप्टर सुनील तिवारी/सीपी सिंह, बोकारो एरोप्लेन का आविष्कार किसने किया, यह बहस क विषय हो सकता है. पर ‘हैलिमो’ हेलीकॉप्टर का अविष्कार बोकारो के स्टूडेंट्स ने किया है. बीआइवी-8 सी के स्टूडेंट्स ने एक ऐसा हेलीकॉप्टर तैयार किया है, जिसे किसी भी […]

अविष्कार : बीआइवी-8 सी के 10 स्टूडेंट्स ने बनाया मोबाइल से चलने वाला हेलीकॉप्टर
सुनील तिवारी/सीपी सिंह, बोकारो
एरोप्लेन का आविष्कार किसने किया, यह बहस क विषय हो सकता है. पर ‘हैलिमो’ हेलीकॉप्टर का अविष्कार बोकारो के स्टूडेंट्स ने किया है. बीआइवी-8 सी के स्टूडेंट्स ने एक ऐसा हेलीकॉप्टर तैयार किया है, जिसे किसी भी एंड्रॉयड मोबाइल से कंट्रोल किया जा सकता है. कक्षा नौ के 10 छात्रों ने अपनी पॉकेट मनी बचा कर इस मॉडल को तैयार किया है.
मॉडल तैयार करने में छात्रों को लगभग 2500 रुपया व एक महीने का समय लगा. स्कूल के पूर्व छात्र प्रीतम के सहयोग से स्टूडेंट्स ने इस प्रोजेक्ट तैयार किया गया.
इन छात्रों ने बनाया है प्रोजेक्ट : ‘हैलिमो’ प्रोजेक्ट को कैप्टन सुमित व रिया, ऋतिक रोशन, विकास, सानू, निखिल, ज्योति चौहान, श्रृष्टि, प्रिया व प्रियंका ने तैयार किया है. छात्र प्रोजेक्ट का श्रेय पूर्व छात्र प्रीतम, अभिभावक व स्कूल के प्राचार्य शिवशंकर यादव को देते हैं. प्राचार्य ने कहा : अगले साल ‘हैलिमो’ को साइंस कांग्रेस में जगह दिलाने की कोशिश करेंगे. प्रीतम ने कहा : ज्ञान बांटने से बढ़ता है. सेक्टर आठ सी निवासी प्रीतम एनआइटी वारंगल-तेलंगाना से इलेक्ट्रॉनिक विभाग में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है. वह छुट्टियों में बोकारो आया है.
हवा की मदद से कुआं से निकलेगा पानी
स्कूल के विद्यार्थियों ने ‘हवा की मदद से पानी निकालने की मशीन’ बनायी है. इस प्रोजेक्ट को रिया, श्रृष्टि, ज्योति, प्रिया व प्रियंका ने बनाया है. इस मशीन में हवा की गति से पंख घुमाने की व्यवस्था की गयी है. पंख के सहारे स्ट्रीप फीता लगाया गया है. फीता स्कावयरल बैंड वाली सरल मशीन को घुमाता है. सरल मशीन में रस्सी लगी होती है, जो कुंआ से पानी निकालती है. हवा किसी भी दिशा से बहे पानी निकालना आसान होता है. प्रोजेक्ट बनाने में 300 रुपये की लागत आयी है.
‘वेस्ट मैटेरियल बोट’ इमरजेंसी में हवा से
स्कूल के स्टूडेंट्स ने ‘वेस्ट मैटेरियल बोट’ बनाया है, जो इमरजेंसी में हवा की बदौलत भी तैर सकती है. इस प्रोजेक्ट को सुमित, विकास, सानू व ऋतिक ने बनाया है. बोट में मोबाइल की पुरानी बैटरी के सहारे मोटर को घुमाया जाता है, जो नाव को गति देता है. इमरजेंसी के लिए नाव में पंख लगा है, जो हवा को रोकने का काम करता है. हवा की गति से नाव चलता है. नाव डूबे नहीं इसके लिए बॉडी प्लास्टिक थार्मोकोल से बनायी गयी है. बोट बनाने में 150 रुपया का खर्च आया है.

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