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..नेकी और प्यार को ही जिंदगी बना देना

बोकारो: या खुदा मेरे इस दुनिया से बैर को मिटा देना, हर तरफ नेकी और प्यार को ही जिंदगी बना देना.. रमजान के आखिरी दिन यानि ईद-उल-फितर के मौके पर हर मुसलमान भाई की जुबां पर इसी दुआ के शब्द होते है. इस्लाम धर्म के पवित्र महीने रमजान के बाद नया चांद देखने के अवसर […]

बोकारो: या खुदा मेरे इस दुनिया से बैर को मिटा देना, हर तरफ नेकी और प्यार को ही जिंदगी बना देना.. रमजान के आखिरी दिन यानि ईद-उल-फितर के मौके पर हर मुसलमान भाई की जुबां पर इसी दुआ के शब्द होते है. इस्लाम धर्म के पवित्र महीने रमजान के बाद नया चांद देखने के अवसर पर मनाया जाने वाला ईद-उल-फितर का काउंट डाउन शुरू हो गया है.

अगर चांद गुरुवार को दिखा तो शुक्रवार को ईद मनेगी, जिसकी संभावना अधिक दिख रही है. मुसलिम भाई ईद की तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. सिवनडीह, आजादनगर, मुसलिम मुहल्ला, भर्रा सहित चास-बोकारो के मुसलिम बहुल क्षेत्र में ईद की चहल-पहल हर तरफ देखने को अभी से मिल रही है. सेवई, लच्छा की दुकानों पर भीड़ उमड़ रही है. तरह-तरह की सेवइयां बिक रही है.

समाज को जोड़ने का मजबूत सूत्र : ईद-उल-फितर पूरे महीने भूख और प्यास सहने और सिर्फखुदा को याद करने वाले रोजेदारों को अल्लाह का इनाम है. ईद-उल-फितर एक पर्व नहीं बल्कि,हमारे समाज को जोड़ने का मजबूत सूत्र है. ईद-उल-फितर इस्लाम के प्रेम और सौहार्द्र भरे संदेश को भी सही ढंग से फैलाता है. दुनिया में चांद देखकर रोजा रहने और चांद देखकर इद मनाने की पुरानी परंपरा है. हाइटेक युग में तमाम बहस-मुबाहिसे के बावजूद यह रिवाज कायम है.

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