बोकारो: बार काउसिंल ऑफ इंडिया ने बार काउसिंल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस नियम 2015 में संशोधन किया है. इस नियम के तहत अधिवक्ताओं को न्यायिक कार्य के लिए अपने लाइसेंस का सत्यापन 13 जनवरी से छह माह के अंदर करना होगा. सत्यापन फी के रूप में 100 रुपये लिये जायेंगे. सत्यापित प्रमाण […]
बोकारो: बार काउसिंल ऑफ इंडिया ने बार काउसिंल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस नियम 2015 में संशोधन किया है. इस नियम के तहत अधिवक्ताओं को न्यायिक कार्य के लिए अपने लाइसेंस का सत्यापन 13 जनवरी से छह माह के अंदर करना होगा. सत्यापन फी के रूप में 100 रुपये लिये जायेंगे. सत्यापित प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही कोई अधिवक्ता देश के किसी भी न्यायालय या अन्य प्राधिकार में उपस्थित होकर वकालत कर सकता है.
मालूम हो कि इससे पहले लाइसेंस जारी होने के बाद सत्यापन का प्रावधान नहीं था. सत्यापन से वरीय अधिवक्ताओं व एडवोकेट ऑन रिकार्ड को अलग रखा गया है. इस तरह के अधिवक्ताओं को सत्यापन की आवश्यकता नहीं होगी. एक्ट के इस संसोधन से फर्जी लाइसेंस के जरिये वकालत करने वालों पर शिकंजा कसेगा. अधिवक्ताओं को पहचान पत्र भी निर्गत किया जायेगा.
पहचान पत्र पहन कर ही अधिवक्ता न्यायालय जायेंगे.
न्यायिक कार्य से जुड़े वकीलों को लाभ : सत्यापन के बाद बार काउंसिल अधिवक्ताओं की लिस्ट जारी कर वैसे अधिवक्ताओं की पहचान करेगा, जो वकालत का लाइसेंस लेने के बाद दूसरा व्यवसाय कर रहे हैं. इस तरह के अधिवक्ताओं को हितकारी लाभों से वंचित कर दिया जायेगा, साथ ही वकालत करने पर रोक लगाते हुए बार एसोसिएसन की चुनाव प्रक्रिया से भी वंचित कर दिया जायेगा.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस वेरीफिकेशन नियम 2015 को संशोधित किया है, जिसके तहत अधिवक्ताओं को लाइसेंस का सत्यापन कराना जरूरी होगा.
रंजीत गिरि, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स