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-कोनार डैम में हाइडल चालू होने के लिए 59 साल से बाट जोह रही है परियोजना

परियोजना के चालू होने से क्षेत्र में होता चौमुखी बिकास 16 बोक 27 – कोनार डैम की तस्वीर16 बोक 28 – सांसद रबीन्द्र कुमार पाडेंय की तस्वीरसंवाददाता, गोमियाडीवीसी कोनार डैम के स्थापना काल के 60 साल होने को चला. कोनार डैम से हाइडल प्लांट चालू हो जाने से क्षेत्र में जहां बिजली की किल्लत दूर […]

परियोजना के चालू होने से क्षेत्र में होता चौमुखी बिकास 16 बोक 27 – कोनार डैम की तस्वीर16 बोक 28 – सांसद रबीन्द्र कुमार पाडेंय की तस्वीरसंवाददाता, गोमियाडीवीसी कोनार डैम के स्थापना काल के 60 साल होने को चला. कोनार डैम से हाइडल प्लांट चालू हो जाने से क्षेत्र में जहां बिजली की किल्लत दूर हो जाती वहीं करोड़ों रुपये का राजस्व का फायदा होता. कोनार डैम की स्थापना 1955 में हुई. स्थापना काल के समय ही तीन मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए साइट छोड़ी गयी ताकि प्लांट लगे तो दिक्कतों का सामना ना करना पड़े. डैम का उद्घाटन देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1955 में किया था. उस समय डैम के निर्माण में लगभग 10 करोड रुपये की लागत आयी, वहीं हाइडल को चालू करने के लिए महज एक करोड़ रुपये लागत आने का प्राक्कलन बना था. विभाग द्वारा हाइडल को चालू करने के लिए कई उपस्कर लगाये गये, पर किसी कारणश हाइडल प्लांट चालू ना हो सका. कृषि के मामले में आत्मनिर्भर होते कृषक तथा बिजली के मामले में भी आत्मनिर्भर होते ग्रामीण. इससे डीवीसी को राजस्व भी मिलता और तो और कई लोग रोजगार से जुड़ते, पर 60 साल में नीति व रणनीति बनती रही और हाइडल प्लांट नहीं बन पाया, जबकि जो पानी डैम के माध्यम से बोकारो थर्मल पावर स्टेशन परियोजना की मिलता, वह पानी से बिजली का भी उत्पादन होता. हाइडल चालू करने के लिए 1996 से सतत प्रयास रहे सांसद-सांसद रवींद्र कुमार पांडेय 1996 से कोनार डैम में हाइडल चालू करने की दिशा में किसी ना किसी रूप में लगे रहे. वह बराबर संसद में हाइडल चालू करने के लिए मामले को उठाते रहे.

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