गोमिया: गोमिया प्रखंड में वर्ष 1972 से भाकपा माओवादी संगठन का किसी न किसी रूप से वर्चस्व रहा है. झुमरा पहाड़ क्षेत्र में जिस प्रकार से पुलिस द्वारा माओवादियों के खिलाफ चलाये गये सर्च अभियान में पुलिस को थोक के रूप में मिल रहे विस्फोटक पदार्थ से ऐसा प्रतीत होता है कि बारूद के ढेर में बसा झुमरा पहाड़ में बारूदी जंग को पुलिस छुड़ाने में लगी है.
भाकपा माओवादी संगठन के शीर्ष नेता कन्हाई मजूमदार व चारू मजूमदार आदि नेताओं द्वारा माओवादियों को पढ़ाये गये पाठ से झुमरा पहाड क्षेत्र में मिटना नहीं देना चाहते हैं. पुलिस व सीआरपीएफ द्वारा लगातार इन क्षेत्रों में सर्च अभियान चलाया जा रहा है.
फिर भी भाकपा माओवादी संगठन के दबदबा से ग्रामीण सहमे हैं. गोमिया प्रखंड में 134 राजस्व गांव हैं. इसमें लगभग 100 गांवों में किसी न किसी रूप में माओवादी संगठन का दबदबा है. बढ़ते उग्रवाद पर काबू पाने के लिए प्रखंड में महुआटांड में थाना खोला गया. उसके बाद 2005 में झुमरा पहाड़ में पुलिस कैंप बना और तेजी से क्षेत्र में पुलिस द्वारा सर्च अभियान चलाया गया. इस अभियान को पुलिस को सफलता मिली. कई नक्सली नेता पकड़े गये. झुमरा क्षेत्र से नक्सलियों द्वारा लूटे गये दर्जनों बंदूकें बरामद हुई. लाखों के सामान जब्त किये गये. वहीं जवाबी कार्रवाई में नक्सली भी क्षेत्र में जनाधार बढ़ाने के साथ-साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कई बड़ी-बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया.
40 वर्षो के अंतराल में भी संगठन का दबदबा कायम है. राज्य व केंद्र सरकार क्षेत्र में उग्रवाद उन्मूलन के साथ विकास पर भी बल दिया गया. झुमरा एक्शन प्लान बनाया गया. इसी प्लान में पथ, बिजली बहाल हुई. विडंबना है कि आज भी दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां पूर्ण रूप से विकास की गाड़ी नहीं पहुंची. पहाड़ों व तलहटियों में बसे गांवों में ग्रामीण झंझावत की जिंदगी जी रहे हैं. क्षेत्र में चिकित्सा, शिक्षा, रोजगार की स्थिति काफी दयनीय है.
बड़ी संख्या में ग्रामीण लाल कार्ड, बीपीएल, अतिरिक्त बीपीएल आदि लाभ से वंचित हैं. ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र से उग्रवाद की संभावना कैसे समाप्त होगी. जिला प्रशासन को क्षेत्र में नीतिगत अध्ययन कर पारदर्शिता पूर्वक विकास को सरजमीन में उतारना होगा. उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जय राम रमेश के दौरे से बदलाव आये हैं. वहीं डीजीपी राजीव कुमार के दौरे से पुलिस महकमा काफी उत्साहित भी है. क्षेत्र में बदलते हालत को देख कर भाकपा माओवादी संगठन बदलाव लाते हुए क्षेत्र में जन आंदोलन का रूप देने में लगे हैं. इसमें कृषक संगठन, महिला संगठन, युवा संगठन को बढावा दिया जा रहा है. ताकि समस्याओं को देख कर सरकार के नीति के खिलाफ जनता को गोलबंद किया जाये.